Gonda : तीन महीने तक चलेगा ‘संभव अभियान’, जानें क्या होगा इस दौरान
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। बच्चे स्वस्थ रहें। इसके लिए ‘पोषण’ अत्यंत आवश्यक है। पोषण शिशु और बाल मृत्यु दर के आंकड़ों को भी कम करने में सहायक है, इसके लिए परिवार एवं व्यक्ति के स्तर पर पोषण सम्बन्धी मौजूदा व्यवहारों, धारणाओं और मिथकों में परिवर्तन लाना है। इस परिवर्तन के लिए ही बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से गत वर्ष की भांति इस बार भी एक जुलाई से आगामी तीस सितम्बर तक प्रदेश व्यापी ‘सम्भव अभियान’ चलाया जा रहा है। प्रभारी डीपीओ (आईसीडीएस) धर्मेन्द्र गौतम ने बताया कि तीन मास के इस अभियान में अति कुपोषित (सैम) एवं अल्प कुपोषित (मैम) बच्चों के सही चिन्हांकन, उपचार, संदर्भन एवं सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबन्धन के साथ-साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए सामुदायिक व्यवहारों में परिवर्तन लाने पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना के अनुसार जुलाई माह में आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से स्तनपान प्रोत्साहन, जन्म के समय कम वजन के बच्चे की विशेष देखभाल व कंगारु मदर केयर पर जनजागरुकता फैलाई जा रही है। अगस्त माह में ऊपरी आहार तथा बीमार बच्चे के लिए भोजन के बारे में जानकारी दी जाएगी। वहीं सितम्बर माह में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय पोषण माह में दस्त से बचाव व प्रबन्धन, साफ-सफाई व स्वच्छता का पोषण में महत्व, छोटे बच्चों में एनीमिया व अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का आच्छादन तथा अंत में पुनः वजन सप्ताह मनाया चलाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अभियान को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए यूनिसेफ की ओर से 16 जून को जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराया गया। इसके बाद 21 जून तक माइक्रोप्लान के अनुसार सभी 17 परियोजनाओं में संचालित 3095 की आंगनवाड़ी, सहायिका व मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण उपरांत 25 से 30 जून तक कार्यकर्त्रियों द्वारा 13985 गम्भीर अल्प वजन वाले बच्चे तथा 9267 अति कुपोषित (सैम) बच्चे चिन्हित किये गए। इन्हीं चिन्हित बच्चों को सम्भव अभियान के दौरान एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) संदर्भन, उनके उपचार और कुपोषण प्रबन्धन महिलाओं, किशोरियों और बच्चों को कुपोषण से बचाने पर जोर दिया जाएगा। सीडीपीओ शहर परियोजना अभिषेक दुबे ने बताया कि कुपोषित बच्चों के घरों में खान-पान, स्वास्थ्य जांच और साफ-सफाई संबंधी व्यवहार की जानकारी, कुपोषण प्रबन्धन में पुरुषों की सहभागिता, अन्नप्राशन, गोद-भराई व अन्य सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन तथा पोषण किट वितरण इत्यादि गतिविधियां चल रही हैं। गर्भवती व धात्री महिलाओं को स्तनपान व कंगारु मदर केयर के फायदे बताए जा रहे हैं। यूनिसेफ ने मंडलीय पोषण विशेषज्ञ संतोष राय ने बताया कि बच्चे के उचित शारीरिक विकास के लिए कम से कम 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है। इस दौरान बाहर का दूध अथवा ऊपरी आहार, शहद, घुट्टी या टॉनिक बच्चे की आंतों में इन्फेक्शन पैदा करता है, जिससे बच्चे को दस्त होने लगती है और बच्चा कुपोषित हो जाता है।
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