शारदीय नवरात्र: सिद्धिदात्री के दरबार में श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी, कन्या पूजन
वाराणसी (हि.स.)। शारदीय नवरात्र के नौवें दिन रविवार को घरों और पूजा पंडालों में विधि विधान से नवमी पूजन हुआ। हवन के बाद घरों और मंदिरों में कन्या पूजन कर व्रतियों ने नौ दिनों की देवी उपासना की पूर्णाहुति की। कन्याओं और बाल भैरव का पांव पखारने के बाद तिलक और माल्यार्पण के बाद उन्हें भोग खिलाकर दक्षिणा देकर विदा किया गया।
रविन्द्रपुरी स्थित क्री कुंड भगवान कीनाराम के आश्रम में भी अघोरपीठ पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम ने कुमारी कन्याओं एवं भैरव का पूजन किया। परिसर में कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए सीमित संख्या में भक्तों ने दो गज की दूरी रखते हुए कुमारी कन्याओं और भैरव के बाल स्वरूप का दर्शन पूजन कर आशीर्वाद लिया। पूजन के पूर्व नन्हीं-नन्हीं कुमारी कन्याओं का पांव पखारे व शुभता के लिए महावर से रंगे गए, नए वस्त्र बिंदी कुमकुम आदि से श्रृंगार के के बाद चुनरियां ओढाई गयीं। इस दौरान मां काली बनी एक बच्ची लोगों में आकर्षण बनी रही।
उधर, नवरात्र के अन्तिम दिन श्रद्धालु नर-नारियों ने गोलघर स्थित मां सिद्धिदात्रि के दरबार में मत्था टेक घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना की। दरबार में भोर से ही श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचने लगे। श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन कर निहाल हो गये। भोर में मंदिर के पुजारी की देखरेख में आदि शक्ति के विग्रह को पंचामृत स्नान कराने के बाद विधि विधान से श्रृंगार किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भोग लगा मंगला आरती कर मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। दरबार खुलते ही दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री हैं, नवमी के दिन इनके पूजन अर्चन से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां जगत के कल्याण के लिए नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री है। पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था तथा इन्हें के द्वारा भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ।