लखनऊ में विश्व स्तरीय प्रशिक्षण पाकर कानपुर में चालक दौड़ाएंगे मेट्रो

— पहले चरण के तहत नवम्बर में कानपुर में दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन

— भारत में चार जगहों पर मेट्रो चालकों को प्रशिक्षण दिये जाने की है व्यवस्था

कानपुर (हि.स.)। कानपुर मेट्रो परियोजना में तेजी से कार्य हो रहा है और आठ मेट्रो ट्रेन गुजरात में तैयार हो रही हैं। अगर सब कुछ निर्धारित समय के अनुसार कार्य हुआ तो नवम्बर माह में कानपुरवासी मेट्रो लुत्फ उठा सकेंगे। इसको लेकर कानपुर मेट्रो चालकों को लखनऊ में प्रशिक्षण दिया जाएगा और चालक उन सभी गतिविधियों से रुबरु होंगे जो मेट्रो को चलाने के दौरान होगा। इससे प्रशिक्षित चालक आसानी से कानपुर की मेट्रो को दौड़ाएंगें।

कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच मेट्रो सेवाएं शुरू करने की तैयारियां जोरों पर है। इसको लेकर कानपुर के स्टेशन कंट्रोलर कम ट्रेन ऑपरेटर (एससीटीओ) को लखनऊ स्थित यूपी मेट्रो के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रेनिंग (सीओईटी) में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अपने स्टाफ को ट्रेन चलाने की विधा में परिपक्व बनाने के लिए उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि0 (यूपीएमआरसी) ने लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर डिपो में स्थित सीओईटी में अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों की व्यवस्था की है, जिसमें सबसे प्रमुख है, ट्रेन सिमुलेटर। भारत में सिर्फ चार मेट्रो कॉर्पोरेशन्स के पास यह सुविधा है, यूपी मेट्रो, दिल्ली मेट्रो, हैदराबाद मेट्रो और नम्मा मेट्रो (बेंगलुरु)।

ट्रेन चालक को मिलेगा वास्तविक अनुभव

यह सिमुलेटर, मेट्रो ट्रेन की ड्राइवर कैब की रेप्लिका या कॉपी है। इस सिमुलेटर में वे सारे फीचर्स और फंक्शन्स मौजूद हैं, जो ड्राइवर कैब में होते हैं ताकी ट्रेन ऑपरेटर को ट्रेनिंग के दौरान बिल्कुल वास्तविक अनुभव मिल सके और जब वह मेनलाइन ट्रैक पर ट्रेन चलाने के लिए जाए तो उसके लिए कुछ भी नया न हो। सबसे पहले प्रशिक्षुओं की क्लासरूम ट्रेनिंग होती है और फिर उन्हें सिमुलेटर पर अभ्यास कराया जाता है।

ट्रेनिंग में यह है खास

सबसे पहले प्रशिक्षुओं को डेस्कटॉप सिमुलेटर पर ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें वे ट्रेन के सारे फीचर्स के साथ एक कम्प्यूटर स्क्रीन के माध्यम से रूबरू होते हैं। इस सिमुलेटर में, ट्रेन की ड्राइविंग कैब की तरह स्क्रीन, सभी कंट्रोल बटन्स और एक लीवर होता है। ट्रेन चलाने का पहला अनुभव उन्हें यहां से मिलता है।

इसके बाद दूसरे चरण में, उन्हें फाइव डी मोशन सिमुलेटर’ का अनुभव दिया जाता है। मोशन सिमुलेटर, ट्रेन की ड्राइवर कैब की हूबहू नकल होती है। इस सिमुलेटर के साथ मोशन शब्द इसलिए जुड़ा हुआ है क्योंकि ट्रैक पर चलने के दौरान, ट्रेन में जो भी मूवमेंट होते हैं, यह सिमुलेटर ठीक वैसे ही अनुभव प्रशिक्षु को देता है।

चालक को दरवाजा बंद करने का कराया जाएगा अभ्यास

मोशन सिमुलेटर के अंदर जो स्क्रीन मौजूद होती है, उसमें ड्राइवर को शहर की बिल्डिंग्स, सड़क और यात्री आदि सभी कुछ दिखते हैं। इसमें ट्रेन के दरवाजे खोलने और यात्रियों के सवार होने पर ही उन्हें बंद करने का अभ्यास भी कराया जाता है। साथ ही, ट्रेन परिचालन के दौरान जितनी तरह की खराबियों की आशंका होती है, उन्हें सुलझाने का भी अभ्यास प्रशिक्षुओं को कराया जाता है, जैसे- दरवाज़े न खुलना या आग लगने की स्थिति।

सीधे ट्रेन आपरेटर से होगी बात

आपात स्थिति में यात्री सीधे ट्रेन ऑपरेटर से बात कर सकें, इसके लिए ट्रेन में पैसेंजर एमरजेंसी इंटरकॉम होता है। सिमुलेटर के साथ प्रशिक्षण में प्रशिक्षु को इसका भी अभ्यास कराया जाता है। सिमुलेटर रात, कोहरा, बारिश, बिजली चमकना-कड़कना, सभी तरह के अनुभव प्रशिक्षु को देता है। ताकि मेनलाइन पर ट्रेन चलाने के दौरान, ट्रेन ऑपरेटर हर तरह के अनुभव के लिए तैयार रहे।सिमुलेटर के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, जिनके जरिए मॉनिटरिंग/इवैल्यूएशन टीम लगातार प्रशिक्षु के प्रदर्शन पर निगरानी रखती है और उनका मूल्यांकन करती है। सिमुलेटर पर ट्रेनिंग के बाद डिपो में बने टेस्ट ट्रैक पर ट्रेन चलाने का अभ्यास कराया जाता है। 400 किमी. ट्रेन चलाने के अभ्यास के बाद ट्रेन ऑपरेटर्स को ‘कॉम्पिटेंसी सर्टिफिकेट’ दिया जाता है।

error: Content is protected !!