राष्ट्रीय सेवा योजना की उपयोगिता एवं उद्देश्य व्यापक : डॉ श्रुति

– राष्ट्रीय सेवा योजना का बैज उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मन्दिर से लिया गया

प्रयागराज(हि.स.)। राष्ट्रीय सेवा योजना की जरूरत, उसकी उपयोगिता तथा इसका उद्देश्य व्यापक है। इसका बैज उड़ीसा में स्थित कोणार्क सूर्य मन्दिर के रथ के पहिये से लिया गया है। जिसमें 24 पहिये एवं 8 तीलियाँ हैं। जो दर्शाती है कि दिन के चौबीस घण्टे तथा 8 पहर समाज के लिये कार्यरत रहना चाहिए।

उक्त विचार आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की सहायक आचार्य डॉ श्रुति आनन्द ने शनिवार को ईश्वर शरण डिग्री कालेज में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा संचालित सात दिवसीय शिविर में व्यक्त किया। उन्होंने बिन्दुओं को केन्द्र में रखते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये। श्रम के महत्व पर बताया कि हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए।

निर्मला देशपाण्डे सभागार में आयोजित शिविर में उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से बैज की उपयोगिता एवं राष्ट्रीय सेवा योजना की आवश्यकता पर प्रश्न पूछ कर ध्यानाकृष्ट किया। उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रेरित करने के लिए रामसेतु के निर्माण का उदाहरण देते हुए बताया कि सेतु निर्माण में जिस प्रकार एक छोटी सी गिलहरी ने अपना योगदान दिया। उसी प्रकार राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों का यह दायित्व बनता है कि उनकी क्षमता कम हो या ज्यादा उन्हें अपना पूरा योगदान देने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम छोटी-छोटी वस्तुओं या चीजों से दूसरों को कितनी खुशी दे सकते हैं तथा समाज में उससे सामाजिक सौहार्द, सामाजिक समरसता का जो बीज अंकुरित होगा वह आत्मनिर्भर भारत को उभरने में सहायक होगा। अंत में अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि अनुशासन ही मनुष्य की पहचान है। हमें निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने की आवश्यकता है।

इसके पूर्व मुख्य अतिथि का स्वागत प्राचीन इतिहास विभाग के सहायक आचार्य डॉ मनोज दुबे ने किया। संचालन डॉ आलोक मिश्र स्वागत उद्बोधन डॉ रेफाक अहमद और धन्यवाद ज्ञापन डॉ गायत्री सिंह ने किया। इस अवसर पर सभी स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

विद्या कान्त

error: Content is protected !!