बलरामपुर: लोकल फॉर वोकल की अपील से बढ़ी मिट्टी के दिये की मांग

प्रभाकर
बलरामपुर (हि.स.) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकल फॉर वोकल की अपील के चलते इस दीपावली मिट्टी के दीपक की मांग पिछले वर्ष की तुलना में काफी बढ़ गई है। मिट्टी के दीपक बना रहे कुम्हारों में इसे लेकर प्रसन्नता व्याप्त है। चाइनीज झालरों की चकाचौंध में गुम हो गई मिट्टी के दीए से दीपावली एक बार फिर गुलजार हो रही है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त दीपावली इस बार मनाई जाएगी। एक आंकड़े के मुताबिक जनपद में इस दिवाली 12 करोड़ से अधिक मिट्टी के दिए बिकने की संभावना जताई जा रही है।

मिट्टी के दिए जलाने का महत्व जनपद के प्रसिद्ध ज्योतिविद पंडित तुंगनाथ शास्त्री ने मिट्टी के दीए जलाने के महत्व बताते हुए कहा कि वास्तव में मिट्टी के दीयों की रोशनी से ही दीपावली मनाए जाने की परम्परा है , मिट्टी के दीपक जलाए जाने से घर के कुलदेवता प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही बरसात में विभिन्न प्रकार के उत्पन्न हुए कीड़े मकोड़े दिए की रोशनी में जलकर समाप्त हो जाते हैं और शरद ऋतु की शुरुआत स्वच्छ वातावरण में होती है। यह सुखद है कि एक बार फिर लोग मिट्टी के दीयों को अपना रहे है।
कुम्हारों ने जताई प्रसन्नतादेवीपाटन निवासी कुम्हार नान बाबू ,राधेश्याम, ओंकार, तुलसीपुर निवासी राम बदल ,इदरीश ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष मिट्टी के दियों की मांग बढ़ी है। इसी तरह सभी मिट्टी के बने बर्तन की मांग बढ़़ेे तो रोजगार भी बढ़ेगा।
21 हजार मिट्टी के दीपक से जगमगायेगा शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटनविश्व प्रसिद्ध 51 सिद्ध शक्तिपीठों में शुमार मंदिर देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ योगी ने लोगों से इस बार अपील की है कि सभी लोग मिट्टी के दीए जलाएं और प्रधानमंत्री की अपील लोकल फॉर फोकल को अपनाएं, जिससे शुद्ध वातावरण के साथ-साथ उन गरीबों के घर में भी खुशहाली आए, जिनके वहां दिए के निर्माण से ही जीविकोपार्जन होता है। महंत मिथिलेश नाथ योगी के मुताबिक वह स्वयं 21 हजार मिट्टी के दीयों से देवीपाटन मंदिर पर दीपोत्सव मनाएंगे। इसे लेकर तैयारी की जा चुकी है।
इस दिवाली मिट्टी के दीपक जलाने की विधायक ने की अपीलतुलसीपुर विधायक कैलाश नाथ शुक्ला ने हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के माध्यम से लोगों से अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल की अपील गांव गरीबों के उत्थान में सहायक है। पूर्ववर्ती सरकारों में लोकल उत्पाद को बाजार में लाने को लेकर उत्साहजनक नीतियां नहीं थी। लोकल फॉर वोकल से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही वहां रोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। हाल ही में माटी कला कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा बारह कुम्हारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक देकर मिट्टी के बर्तन बनाने के कार्य को लेकर उत्साहवर्धन किया गया है।

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