प्रत्याशी का नाम घोषित करने से पहले ही भाजपा में बवाल, एनडीए में भितरघात
बेगूसराय (हि.स.)। द्वितीय चरण के तहत तीन नवम्बर को बेगूसराय की सभी सात विधानसभा सीटों वाले मतदान को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (माकपा), रालोसपा, जदयू और राजद ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। अब सबकी निगाहें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिस्से वाली तीन सीटों के प्रत्याशी के नाम की घोषणा पर टिकी हुई है। लेकिन उससे पहले ही भाजपा में बवाल शुरू हो गया है।नामों की घोषणा से पहले ही दावेदारों का दल छोड़कर खिसकना चालू हो गया है। कार्यकर्ताओं को दलीय निष्ठा से बांधे रखने वाले संगठन के कर्ताधर्ता गायब हैं। लंबे समय से पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं और दावेदार गुस्से में हैं। कुछ दल छोड़ने के मूड में बताए जा रहे हैं तो कुछ भितरघात करने का मन बना चुके हैं। बड़े और सक्षम दावेदार ताक-झांक में हैं कि कहीं से दूसरे दल से जुगाड़ हो जाय तो टिकट लेकर अपने ही दल और गठबंधन के उम्मीदवार को हराया जा सके।सूत्रों की मानें तो नाम की घोषणा के साथ ही जिला भाजपा में भूचाल आ सकता है। यहां कई गुटों में बंटे भाजपा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और बागी बन रहे कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए भाजपा नेतृत्व ने यदि कोई नुस्खा नहीं आजमाया तो जिले में एनडीए उम्मीदवार को हराने में ये बागी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।भाजपा के साहेबपुर कमाल में सबसे बड़े पिलर अमर कुमार सिंह भाजपा छोड़कर एनडीए के सहयोगी जदयू के उम्मीदवार बन बैठे और भाजपाई मुंह देखते रह गए। अब बखरी क्षेत्र 2010 में पहली बार भाजपा को जीत दिलाने वाले पूर्व विधायक और पिछले चुनाव में भाजपा टिकट पर हारे हुए रामानंद राम टिकट नहीं मिलने की आहट सुनकर पहले ही यहां से खिसक लिए। वे पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (जाप) में शामिल हो गए हैं।
तेघड़ा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता इस क्षेत्र को जदयू के हिस्से में देने के बाद सकते में हैं और वहां से किसी बागी को प्रत्याशी बनाने को लेकर लगातार बैठकें कर रहे हैं। भाजपा के कई नेता दूसरे दल के टिकट की ताक में हैं जिससे कि यहां मुख्यमंत्री द्वारा थोपे गए जदयू उम्मीदवार को हराया जा सके। अगर किसी दल से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय भी मैदान में उतरकर धमाल मचा सकते हैं। यही हाल बछवाड़ा का है और वहां के कार्यकर्ता स्थानीय उम्मीदवार देने की मांग कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं में अभी से उबाल है, नाम घोषणा के बाद दावेदार नेता अलग राह पकड़ सकते हैं।
सबसे अजीबोगरीब स्थिति बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र की है। यहां भाजपा के टिकट दावेदारों की स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली थी। अब एक के नाम की घोषणा के बाद मुख्यालय के इस सीट पर हालत और विषम होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कुछ तो सोशल मीडिया में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर अभी से हमलावर हो गए हैं। शेष भितरघात या फिर किसी न किसी दल से प्रत्याशी बन मैदान में उतर सकते हैं।ऐसे भाजपाइयों की पसंद जाप, लोजपा, रालोसपा के साथ निर्दलीय चिह्न भी है, दो नेता तो नाजीर रसीद भी कटवा चुके हैं। फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि बेगूसराय के भाजपाई कहां जाकर रुकते हैं। लोकसभा चुनाव की तरह सभी भाजपाा कार्यकर्ता एक होतेे हैं या फिर हालत 2015 वाली हो जाती है।