ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अब 12 नवम्बर को होगी सुनवाई, विपक्षियों की निगरानी याचिका विचारार्थ स्वीकार

वाराणसी (हि.स.)। काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरूवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई में सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की निगरानी याचिका पर विपक्षियों की आपत्ति खारिज करते हुए न्यायालय ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया। इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। वक्फ बोर्ड की रिविजिनल एडमिशन स्वीकार होने पर पक्ष के अधिवक्ताओं ने खुशी भी जताई।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर की थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था। सिविल जज के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गयी है। इस मामले में आज हुई सुनवाई में जिला जज ने सुनवाई में कहा कि अधीनस्थ अदालत ने अवधारित किया है कि वर्ष 1991 से लंबित इस मामले में उसे सुनवाई का अधिकार है। इस मामले में वक्फ बोर्ड लखनऊ को संदर्भित करने की आवश्यकता नही है। इस आदेश के खिलाफ सत्र अदालत को सुनवाई का अधिकार है। 
विपक्षी वाद मित्र की तरफ से पेश की गई नजीरें लागू नही होती । ऐसे में इस निगरानी को सिविल निगरानी के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसे निगरानी याचिका दर्ज करते हुए निस्तारण और अग्रिम आदेश के लिए 12 नवंबर की तिथि मुकर्रर की जाती है। शाम लगभग 06 बजे वक्फ बोर्ड की रिविजिनल एडमिशन स्वीकार होने पर ज्ञानवापी पक्ष के लोग खुश दिखे। वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया है। वादमित्र की दलील है कि विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। इसके नीचे विश्वेश्वरनाथ की ज्योर्तिलिंग मौजूद है। मंदिर परिसर के हिस्‍सों पर मुसलमानों ने आधिपत्‍य करके मस्जिद बना दिया है। 15 अगस्‍त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्‍वरूप मंदिर का ही था। वाद मित्र ने मस्जिद की बाहरी व अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि का पुरातात्विक सर्वेक्षण रेडार तकनीक और खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने का अनुरोध किया है।

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