गाड़ी पर तिरंगा लगाना है अवैध, हो सकती है जेल!
जानिए कौन लोग लगा सकते हैं अपनी गाड़ी पर तिरंगा
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। भारत के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के आहवान पर देश में 13 अगस्त से 15 अगस्त तक “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम भी मनाया जा रहा है। इसके लिए फ्लैग कोड में आवश्यक बदलाव भी किये गए हैं। इसके तहत अब राष्ट्रीय ध्वज दिन-रात हमेशा फहराया जा सकता है। इसे सूर्यास्त के समय उतारने की जरूरत नहीं होगी। किन्तु इसके अलावा अन्य किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। हर साल हम देखते हैं कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर देशभक्ति की भावना में लोग राष्ट्रीय ध्वज अपनी कार पर लगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर कोई अपनी कार पर तिरंगा नहीं लगा सकता और ऐसा करना फ्लैग कोड का उल्लंघन है।
गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, झंडा संहिता के सेक्शन नाइन पैरा 3.44 में कुछ लोगों को कार (मोटर कारों) में झंडे फहराने के विशेष अधिकार दिए गए हैं। भारत के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति, राज्यपाल और उप राज्यपाल, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री व उप मंत्री, राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री व उप मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति और लोकसभा उपाध्यक्ष, राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के विधानसभाओं के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा विधान परिषद के सभापति व उप सभापति, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों के प्रमुख, भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं जज को उनके वाहनों पर तिरंगा लगाने की छूट मिली है। फ्लैग कोड के अनुसार, जब कोई विदेशी मेहमान सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई कार में यात्रा करता है तो राष्ट्रीय ध्वज कार के दाईं और लगाना होगा और संबंधित दूसरे देश के व्यक्ति का झंडा कार के बाईं तरफ लगाना होता है। भारतीय ध्वज संहिता से यह भी पता चलता है कि प्रदर्शन के लिए एक उपयुक्त आकार का चयन किया जाना चाहिए। 450 x 300 मिमी साइज के झंडे वीवीआईपी उड़ानों पर हवाई जहाजों के लिए, मोटर कारों के लिए 225 x 150 मिमी साइज और टेबल झंडे के लिए 150 x 100 मिमी साइज के हैं। फ्लैग कोड के अनुसार, ऊपर बताए गए व्यक्ति के अलावा कोई और व्यक्ति कार पर झंडा लगाता है तो उन पर कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत तीन साल तक की जेल या जुर्माना की सजा का प्राविधान है।
बता दें कि पहले घरों पर भी तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं थी। केवल सरकारी ऑफिस, विभाग व शिक्षण संस्थानों पर ही तिरंगा फहराया जा सकता था। इसके खिलाफ नवीन जिंदल कोर्ट गए. उनकी याचिका पर साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने हर भारतीय को झंडा फहराने की इजाजत दी। बता दें कि पहले रात में भी तिरंगा नहीं फहराया जा सकता था। सूर्यास्त के समय सम्मान के साथ इसे उतारा जाता है और फिर दोबारा सुर्योदय के समय फहराया जाता है। वहीं, दिसंबर 2009 में गृह मंत्रालय ने रात में तिरंगा फहराने के लिए सशर्त सहमति दी। नियम के मुताबिक, पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था हो, तो रात में भी तिरंगा फहराया जा सकता है। हालांकि हाल ही में केन्द्र सरकार ने एक आदेश जारी करके भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) में संशोधन कर दिया है। इसके बाद देश के नागरिकों को उनके घरों पर रात्रि में भी तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई है। तमाम प्रयासों के बावजूद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी तात्कालिक महत्व के इस मुद्दे कुछ भी बोलने को तैयार न हुआ।
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जानकी शरण द्विवेदी
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