खेलने की उम्र में खिलौने बेंच आत्मनिर्भरता की कहनी लिख रहा बजरंगी

– कहा, भीख मांगने से अच्छा है अपने हाथ से काम करके कमाना और खाना

सुलतानपुर (हि.स.)। नन्हीं उम्र और पक्के इरादे लेकर बांदा से सुलतानपुर आया किशोर बजरंगी के सपने और जज्बा बड़ी-बड़ी उम्र वालों के लिए एक सीख है। जिले में कागज के आकर्षक डमरु और फिरंगी (खिलौने) बनाकर वह आत्मनिर्भर बनने की इबारत लिख रहा है।

कहते हैं कि जब काम करने की इच्छा शक्ति हो तो बड़ी आसानी से काम करके तरक्की का मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही एक उदाहरण फिरंगी और डमरू बेच रहा किशोर बजरंगी का है। नगर के अमहट एवं गभड़िया इलाके में वह बच्चों को आकर्षित करने वाले फिरंगी और डमरु के खिलौने रोजना की तरह शुक्रवार को भी बेंच रहा था। मात्र 10 रुपये में आकर्षक एवं लुभाने वाले फिरंगी और डमरु को लोग बड़े ही आनन्द से खरीद रहे थे।

बजरंगी ने बताया कि वह मूलत: बांदा जिला का निवासी है और यहां अपने परिवार के साथ रहता है। परिवार का भरण पोषण करने के लिए वह फिरंगी और डमरु के खिलौने सड़क पर घूम-घूम कर बेचता है। बजरंगी ने बताया कि भीख मांगने से तो अच्छा है कि हम अपने हाथ से काम करके, खुद कमा कर खाएं। बताया कि हम रोजगार तलाशने कहीं नहीं जाते हैं। जहां भी रहते हैं खुद इस तरह के बच्चों के खिलौने बनाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं। इस काम में हमारे माता-पिता और परिवार के अन्य लोग मिलकर काम करते हैं।

दयाशंकर

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