कर्बला के शहीदों की याद में शिया समुदाय ने निकाला जुलूस

– अलम, ताबूत, दुलदुल और अमारी के जुलूस में दर्द भरे नोहे भी पढ़े गए

वाराणसी (हि.स.)। माहे मुहर्रम के 60वें दिन रविवार को कर्बला के शहीदों की याद में शिया समुदाय ने धर्म नगरी काशी में साठे का जुलूस निकाला। पुरानी अदालत दालमंडी स्थित शब्बीर व सफदर के अजाखाने से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकला साठे का मातमी जुलूस नई सड़क,काली महल होते हुए दरगाहे फातमान तक गया। अलम, ताबूत, दुलदुल और अमारी के जुलूस में दर्द भरे नोहे भी पढ़े गए। साठे के साथ ही गम का दो महीने आठ दिन का वक्त पूरा हो गया।

अय्यामे अजा के आखिरी जुलूस में शामिल होने के लिए सड़कों पर अजादारों का हुजूम उमड़ पड़ा। जुलूस जब नई सड़क पहुंचा तो शिया अजादारों ने जंजीर, कमा और खंजर का मातम कर शहीदाने करबला को लहू का नजराना पेश किया। जुलूस जब काली महल पहुंचा तो यहां सैकड़ों की तादाद में मौजूद मर्द, ख्वातीन, बुजुर्ग, नौजवानों ने अमारी का इस्तकबाल किया। यहां मौलाना ने तकरीर में कहा कि हुसैनियत के रास्ते पर चलें। इस मौके पर कलाम पेश किया गया। अंजुमन हैदरी के नौजवानों ने पूरे राह नौहा व मातम किया।

जुलूस के पितरकुंडा पहुंचने पर मौलाना ने मजलिस पढ़ी। दरगाहे फातमान पहुंचने पर हजारों की तादाद में पर्दानशीं ख्वातीन ने आमारी का इस्तकबाल किया। अजादारों ने अलम, दुलदुल, ताबूत को अकीदत के साथ बोसा दिया। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने बताया कि कर्बला के शहीदों के रौजे पर अकीतदमंदों ने जियारत की। गमे हुसैन का अंतिम दिन साठे के रूप में मनाया गया।

श्रीधर

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