एपीएमसी कानून पर कांग्रेस घोषणापत्र को भाजपा ने तोड़-मरोड़कर किया पेश : चिदंबरम
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लाये तीन कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष पूरी तरह आक्रामक है। उनका कहना है कि ये विधेयक खेती-किसानी को बर्बाद करने की साजिश है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि ये विधेयक कांग्रेस की घोषणापत्र में भी थे, लेकिन अब वो विरोध करने का नाटक कर रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा विषय को तोड़-मरोड़ के पेश करने पर निराशा व्यक्त की है।
पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि ‘कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) कानूनों पर कांग्रेस के घोषणापत्र के बयान को भाजपा प्रवक्ताओं ने तोड़-मरोड़ के पेश कर निराश किया। हमने घोषणापत्र में वादा किया था कि हम छोटे शहरों और बड़े गांवों में हजारों किसानों के बाजार बनाएंगे। एक बार पूरा होने के बाद, एपीएमसी कानूनों को बदला जा सकता है।’
वहीं एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस नेता ने कहा कि कृषि विपणन को उदारीकृत करने का तरीका किसान के लिए अधिक सुलभ बाजार और विकल्प तैयार करना है। ऐसे बाजारों को विनियमित करने के लिए नियम होंगे। उन्होंने कहा कि एपीएमसी प्रणाली वास्तव में किसान के लिए एक सुरक्षा जाल है लेकिन यह एक प्रतिबंधित बाजार है जो लाखों किसानों के लिए सुलभ नहीं है। ऐसे में एमएसपी और सरकारी खरीद के माध्यम से ‘सेफ्टी नेट’ सिद्धांत को संरक्षित करते हुए कृषि उपज के लिए बाजार में विस्तार करने की आवश्यकता है। इस दौरान मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए चिदंबरम ने कहा कि जो कानून पारित करने की कोशिश की जा रही है वो एमएसपी के सिद्धांत और सार्वजनिक खरीद प्रणाली को बर्बाद कर देगा।
इससे पहले, राहुल गांधी ने भी कृषि विधेयकों को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि किसान का मोदी सरकार से विश्वास उठ चुका है क्योंकि शुरू से मोदी जी की कथनी और करनी में फ़र्क़ रहा है- नोटबंदी, ग़लत जीएसटी और डीज़ल पर भारी टैक्स। जागृत किसान जानता है- कृषि विधेयक से मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने ‘मित्रों’ का व्यापार और करेगी किसान की रोज़ी-रोटी पर वार।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा में पारित कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों का देश में हर ओर विरोध हो रहा है, खासकर पंजाब से महाराष्ट्र में। यहां तक की इन विधेयकों के विरोध में सरकार के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। ऐसे में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अन्य राजनीतिक दल इन विधेयकों को किसानों के लिए नुकसानदह बता रहे हैं।