अयोध्या मामले में कल्याण सिंह बोले, कांग्रेस ने राजनीतिक विद्वेष के चलते मुझे फंसाया
लखनऊ(एजेंसी)। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराने के बाद उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राजनीतिक विद्वेष के चलते मुझे इस मामले में फंसाया था।
कल्याण सिंह ने कहा कि अयोध्या घटना के समय मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री था। इसलिए वहां की सुरक्षा को लेकर अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह से पालन किया था। कानून व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये थे। लेकिन, तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक दुश्मनी के कारण मुझे इस मामले में फंसा दिया।
उन्होंने कहा कि इस मामले में मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगाये गये हैं, वे सभी निराधार हैं। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते मेरी तरफ से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई थी। कानून व्यवस्था के लिए भारी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों को लगाया गया था और सरकार भी पूरी तरह सजग थी।
अयोध्या मामले में कल्याण सिंह के अलावा आज धर्म सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष दुबे भी सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। संतोष दुबे ने भी कहा कि विवादित ढांचा ढहाने में उनका हाथ नहीं था। अदालत में कल्याण सिंह ने करीब चार घंटे तक अपने बयान दर्ज कराए। इस दौरान अदालत के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे।
वर्ष 1992 में दर्ज हुआ था मामला
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में छह दिसम्बर 1992 को राम जन्मभूमि थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सीबीआई ने इस मामले में 49 आरोपितों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, अशोक सिंघल और साध्वी ऋतंभरा के भी नाम शामिल हैं।
इन 49 आरोपितों में से विश्व हिन्दु परिषद के अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, परमहंस रामचंद्र दास, तत्कालीन शिव सेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे और अयोध्या के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डीबी राय समेत 17 की मौत हो चुकी है। बाकि 32 आरोपितों में से करीब 22 के अब तक बयान दर्ज हो चुके हैं। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई की विशेष अदालत में प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है। अदालत को आगामी 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करना है।