अखिलेश अपना शासन याद करें, एफआईआर के लिए लगानी पड़ती थी सिफारिश:भाजपा
-सपा अध्यक्ष के बयान पर भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने किया पलटवार
लखनऊ (हि.स.)। समाजवादी पार्टी के शासनकाल थाने में किसी बड़े अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भी पीड़ित को सिफारिश लगानी पड़ती थी। लेकिन, अब हर अपराध की प्राथमिकी दर्ज हो रही है। लोगों को न्याय मिल रहा है। अखिलेश यादव शायद 18 जनवरी 2012 को इंदिरानगर थाना क्षेत्र स्थित चूड़ामन पुरवा गांव निवासी आठ वर्षीय मासूम बच्ची को अगवा कर बेरहमी से की गयी हत्या को भूल गये हैं। जब पुलिस ने दबंगों के आगे घुटने टेक दिए थे और खुलासा नहीं हो सका। ये बातें भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने शुक्रवार को कही।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को बयान दिया था ‘भाजपा के शासन काल में महिला होना बड़ा अपराध है। यूपी में महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।’ भाजपा प्रवक्ता ने शुक्रवार को इसी बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सपा का ही शासन काल था, जब दुराचार जैसी घटनाओं पर भी पुलिस अपराध ही दर्ज नहीं करती थी। अपराध दर्ज कराने के लिए लोगों को सिफारिश लगानी पड़ती थी।
उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा का शासन आया, तब से हर थाने में तुरंत अपराध दर्ज किया जाता है। पुलिस की सक्रियता के कारण कई अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग गये। उन्होंने कहा कि सपा और बसपा के चहेते रहे एक माफिया तो आज कांग्रेस की शरण में पंजाब की जेल में हैं। यूपी न आना पड़े, इसके लिए कांग्रेस भी पूरी मदद कर रही है। इसी से विपक्ष का चरित्र उजागर होता है। अखिलेश यादव शायद अपने शासनकाल की 17 जुलाई 2014 को मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में 30 वर्षीय महिला को निर्वस्त्र कर मौत की नींद सुलाने की घटना को भी भूल गये हैं। जब पुलिस ने पहले लीपापोती करने की कोशिश की थी।
मनीष शुक्ला ने कहा कि अखिलेश यादव को 2 फरवरी 2015 को अमीनाबाद के ग्रीन मार्केट निवासी इंटीरियर डेकोरेशन का कारोबार करने वाले शिशिर श्रीवास्तव की बेटी एलएलबी की छात्रा की हत्या की घटना तो याद ही होगी, जब कातिलों ने दो टुकड़ा कर शव को बैग में रखकर फेंक दिया था।
उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि वहीं 04 दिसम्बर 2015 को मड़ियांव थाना क्षेत्र के आईआईएम रोड पर डेंटल कालेज के पास चार कटे हुए पैर पैर व एक महिला का सिर मिलने की घटना को याद करनी चाहिए, जिसका पुलिस ने पता लगाना भी उपयुक्त नहीं समझा था। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी 2011 को पुलिस मुख्यालय के करीब चिनहट में 17 वर्षीय बालिका को हवस का शिकार बनाया। वह सिलाई सीखने निकली थी।
उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं, जो राजधानी में घटित हुईं। आंकड़ों पर गौर करें तो अखिलेश सरकार के सिर्फ 21 माह में ही महिला हिंसा के कुल 49,265 केस दर्ज किए गए, जिनमें से सिर्फ 13,429 केस ही निपटाए जा सके, जो कुल मामलों का सिर्फ 27 फीसदी है।