शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करना: आरिफ मोहम्मद

प्रयागराज। शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करना है और इस संदर्भ में भारतीय मनीषियों ने जो चिंतन किया है, वही हमारे शिक्षा नीति का आधार होना चाहिए। यह बातें मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में संबोधित करते हुए कही। 
ऑक्टा और संज्ञार्थ शोध संस्थान की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शनिवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिना में उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता अपने ज्ञान के लिए जानी जाती है और यहां के मनीषियों ने ज्ञान की परंपरा को जीवित रखा है। हमारी शिक्षा, हमारा आचरण उसी परंपरा के अनुरूप ही होना चाहिए तभी हम सही शिक्षा अर्जित कर सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय चिंतन के अनुरूप भारत में शिक्षा को आगे बढ़ाने की बात करती है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरआर तिवारी ने कहा कि अच्छा इंसान बनाने के लिए शिक्षा का प्रयास होना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में जो भी परिवर्तन हो वह हमारी परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य रहे प्रो टीवी कट्टीमनी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समानता और समावेश विषय पर कहा कि नई शिक्षा नीति में बहुत सारे ऐसे परिवर्तन हैं जो छात्र को उसकी मूल प्रकृति से, उसके गांव से, उसकी भाषा से जोड़ते हैं और समाज के वंचित तबकों के बच्चों को ज्यादा अवसर प्रदान करने की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक संसाधनों से ज्यादा महत्वपूर्ण है मानवीय संसाधन, जिसे बेहतर करने का प्रयास शिक्षा नीति में हैं। 
ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रोफेसर पी नागभूषण ने कहा परीक्षा की प्रणाली में बदलाव और बच्चों को ज्यादा व्यावहारिक जानकारी देने की है। नीपा, नई दिल्ली के प्रो कुमार सुरेश ने शिक्षा में गवर्नेंस के रूपांतरण के संदर्भ में विस्तार से अपनी बात रखी। ऑक्टा पूर्व अध्यक्ष डॉ आरपी सिंह ने वेबीनार का विषय प्रवर्तन किया। 
द्वितीय सत्र में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि अब तक की शिक्षा नीति अंग्रेजी सोच पर आधारित थी और पहली बार शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा और परिस्थितियों के अनुकूल शिक्षा देने की बात है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि यह शिक्षा नीति लोक केंद्रित नहीं है बल्कि सत्ता और लाभ केंद्रित है। यह भी कहा कि शिक्षा को राज्य के विषय से हटाकर केंद्रीय सूची में डालना चाहिए। इग्नू के स्कूल आफ एजुकेशन के प्रो सीबी शर्मा ने स्कूल शिक्षा में हुए बदलाव की स्थिति पर प्रकाश डाला। जबकि सीबीएसई नई दिल्ली के प्रशिक्षण और कौशल शिक्षा के निदेशक डॉ विश्वजीत साहा ने वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण के महत्व और इसे मुख्य विषयों के बराबर करने पर चर्चा की। 
हायर एजुकेशन में समावेशन विषय पर डॉ शकुंतला मिश्रा विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राणा कृष्ण पाल सिंह ने दिव्यांगों की शिक्षा की आवश्यकताओं और उनके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। कॉलेज कंसोलिडेशन कमेटी के चेयरमैन और ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ आनंद शंकर सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से जुड़े हुए परिवर्तनों पर चर्चा करते हुए विद्यालयों को दी जाने वाली स्वायत्तता पर कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण कदम होगा कि विश्वविद्यालयों को महाविद्यालयों के बोझ से मुक्त कर उन्हें स्वतंत्र किया जाए और विश्वविद्यालय और महाविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र बने। 

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