योगी कैबिनेट ने धर्मांतरण पर अंकुश लगाने सम्बन्धी अध्यादेश किया पारित

-अलग-अलग मामलों में दस साल तक की सजा का प्रावधान

लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश में धर्मांतरण पर प्रभावी अंकुश लगाने सम्बन्धी अध्यादेश को योगी कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में धर्मांतरण समेत 21 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है। 
इस तरह प्रदेश में अब दूसरे धर्म में शादी पर दो महीने पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही जिलाधिकारी की मंजूरी भी लेनी होगी। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री योगी के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा कि अब फिर कोई रहमान राहुल बनकर किसी लड़की से शादी नहीं रचा पाएगा। दूसरे धर्म में शादी करने पर उप्र कैबिनेट में बिल पास कर दिया गया है। अब नाम छिपाया तो दस साल तक की कैद होगी।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश कैबिनेट ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ लेकर आई। जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। 
उन्होंने कहा कि सौ से ज्यादा घटनाएं सामने आई थी जिनमें जबरन धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इस पर कानून बनाने के लिए एक आवश्यक नीति बनी, जिस पर कोर्ट के आदेश आए हैं और आज कैबिनेट अध्यादेश लेकर आई। इस अध्यादेश के अंदर एक से पांच वर्ष की सजा के साथ 15 हजार के जुर्माने का प्रावधान है। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के साथ छल, कपट या बल से धर्म परिवर्तित के मामलों में दंड तीन से दस वर्ष तक है। वहीं 25 हजार जुर्माने का प्रावधान है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) आदित्यनाथ मित्तल ने भी मंगलवार को कहा कि दो अलग-अलग धर्म के लोग आपस में शादी कर सकते हैं। लेकिन, नए कानून में व्यवस्था अवैध रुप से धर्मांतरण को लेकर है जिसमें तीन साल, सात साल और दस साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को जिलाधिकारी को धर्म परिवर्तन के संस्कार से पहले और परिवर्तन के बाद सूचना देनी होगी। नए कानून के जरिए अवैध रुप से धर्मांतरण कर शादी करने पर रोक लगेगी। 
न्यायमूर्ति मित्तल के नेतृत्व में ही उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री को इस विषय पर एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें जबरन धर्मान्तरण जैसे ‘गंभीर मसले’ पर नया कानून बनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद से ही मामला चर्चाओं में था। वहीं हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लव जिहाद करने वालों को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि लव जिहाद करने वाले अगर नहीं सुधरे तो अब राम नाम सत्य है की यात्रा निकलने वाली है। इसके बाद से माना जा रहा था कि सरकार इस सम्बन्ध में अहम फैसला कर सकती है।

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