बैकफुट पर आए नेपाली पीएम ने पूछा-कौन लेगा मेरा स्थान?

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। पिछले कुछ सप्ताह से विपक्षी दलों के दबाव में घिरे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली बैकफुट पर नजर आ रहे है। यही वजह है कि उन्होंने सुझाव दिया है कि उनका स्थान किसी ऐसे को मिलना चाहिए जो कि पार्टी के सीपीएन (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) गुट से हो। गुरुवार (16 जुलाई) को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ’प्रचंड’ के साथ बैठक में ओली ने यह बात कही। प्रचंड को ओली के प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है, जो कि सीपीएन (माओवादी) गुट से हैं। 2018 में इन दोनों पार्टियों का विलय हो गया था, जिसके बाद नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) अस्तित्व में आया।
पुष्प कमल दहल के साथ 50-50 के साझा समझौते के आधार पर सत्ता में आए पीएम ओली ने नवंबर 2019 में फिर से समझौता किया, जिसमें बताया गया कि प्रचंड एनसीपी का नेतृत्व करेंगे, जबकि वह खुद सत्ता में बने रहेंगे। लेकिन पिछले कुछ महीनों से पीएम ओली पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी के तीन अहम नेता… पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल, झाला नाथ खानल और माधव नेपाल… ने ओली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक एनसीपी नेता ने बताया, “यह ओली की एक चाल है, जिसके जरिए वो अपने विपक्षियों में दरार डालकर दहल और माधव नेपाल को आपस में लड़वाना चाहते हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह सफल होगा। वे (माधव नेपाल और दहल) इस बात को लेकर दृढ़ हैं कि प्रधानमंत्री को पहले पद छोड़ना चाहिए।“
प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रचंड समेत एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ओली द्वारा दिए गए भारत विरोधी बयान “न तो राजनीतिक रूप से सही थे और न ही कूटनीतिक दृष्टिकोण से उचित थे।” कई नेता ओली के कामकाज करने के तरीके के भी खिलाफ हैं। पार्टी के भीतर अंतर्विरोध और गहरा गए जब ओली ने कहा था कि उनकी सरकार द्वारा देश का नया मानचित्र जारी करने के बाद पार्टी के कुछ नेता पड़ोसी देश भारत के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रचंड-नेपाल गुट ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि इस्तीफा उन्होंने मांगा है भारत ने नहीं। विरोधी गुट ने ओली के आरोपों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है। प्रचंड ने कहा है कि वह किसी भी कारण से पार्टी को टूटने नहीं देंगे और पार्टी की एकता को खंडित करने का प्रयास कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने के जज्बे को कमजोर करेगा।
वहीं, नेपाल की सत्ताधारी पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक पांचवीं बार रविवार (19 जुलाई) तक के लिए टाल दी गई ताकि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ’प्रचंड’ की अगुवाई वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को आपसी मतभेद दूर करने के लिए और समय दिया जा सके। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की बैठक शुक्रवार (17 जुलाई) को अपराह्न तीन बजे होने वाली थी, लेकिन ओली और प्रचंड के आग्रह पर उसे रविवार अपराह्न तीन बजे तक के लिए टाल दिया गया। इससे पहले दिन में दोनों नेताओं के बीच बातचीत के लिए बैठक कुछ घंटों के लिए स्थगित की गई थी। ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने ट्वीट किया, “बैठक रविवार अपराह्न तीन बजे होगी।” स्थायी समिति की पिछली बैठक दो जुलाई को हुई थी। स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पार्टी ने भी अपनी 441 सदस्यीय केंद्रीय कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक करने का निर्णय लिया है।

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