गंगा में डाॅल्फिन की संख्या बढ़ने से उत्साहित हुए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के संयोजक

हापुड़(हि.स.)। डाॅल्फिन गणना के चैथे दिन डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, लोक भारती के संयोजक और पर्यावरणविद् भारत भूषण गर्ग ने रामसर साइट डाॅल्फिन गणना के लिए यात्रा आरंभ की। उनकी यात्रा का प्रारम्भ बहुत संतोषजनक रहा। इस दौरान उन्हें खरखारी के जंगल के सामने एक डाॅल्फिन का बच्चा दिखाई दिया और पूठ घाट के सामने डाॅल्फिन परिवार दो बच्चे के साथ अठखेलियां कर रहा था।डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ वैज्ञानिक शाहनवाज खान ने संजीव यादव और भारत भूषण गर्ग के साथ संवाददाताओं के साथ वार्ता में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि यह स्थान प्राचीन समय से ही डाॅल्फिन का निवास स्थान रहा है। डाॅल्फिन को स्थानीय भाषा में सूस कहा जाता है। इसे गंगा नदी का चैकीदार माना जाता है। उन्होंने कहा कि गंगा में डाॅल्फिन की संख्या बढ़ने से वह काफी उत्साहित हैं।ग्ंागा मित्र भारत भूषण गर्ग ने बताया कि इस बार गंगा में निश्चित रूप से डाॅल्फिन की संख्या बढ़ी है। पहले गणना सर्वेक्षण के दौरान एक अथवा दो ही डाॅल्फिन ही मिलती थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा दहाई के पार है। इससे पहले पुष्पावती पूठ घाट पर आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में भारत भूषण गर्ग ने भारत सरकार से मांग की कि इस घाट के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यहां गंगा व्याख्यान केन्द्र की स्थापना की जानी चाहिए। इस स्थान पर ही महाभारत काल में कौरवों और पांडवों ने आचार्य द्रोण से शिक्षा प्राप्त की थी। वैज्ञानिक शाहनवाज खान ने कहा कि बिजनौर से बलिया तक गंगा का इतना सुन्दर घाट अन्य किसी स्थान पर नहीं दिखाई देता है। इस घाट पर अत्यन्त सुन्दर प्राकृतिक दृश्य हैं और गुरुकुल है, जहां बच्चों को भारतीय दर्शन की उच्च स्तरीय शिक्षा दी जाती है। कार्यक्रम का समापन गंगा सेवक सम्मान से सम्मानित मूलचन्द आर्य ने किया।इस अवसर पर सूबेदार जगदीश सिंह चैहान, महेश केवट, विनोद लोधी, दिनेश शर्मा, प्रधानाचार्य राजीव कुमार, दिनेश कुमार आचार्य, ऋषभ कुमार, आचार्य हर्ष, कुलदीप कुमार, कांति केवट और यथार्थ भूषण आदि उपस्थित थे।

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