UP News : सुप्रीम कोर्ट को भेजी याचिका की जानकारी के बाद पुलिस के तेवर ढीले
हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद सभी नेताओं के घरों से हटा पहरा
झांसी(हि. स.)। पिछले चार दिनों से घर में ही नजरबंद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के सहयोगियों के साथ जारी आमरण अनशन के बीच सोमवार को पुलिस व प्रशासन बैक फुट पर आ गया।
दरअसल,पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन के पुत्र द्वारा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को नजरबंदी के विरोध में याचिका भेजी थी। उसके बाद पहले तो मान मनव्वल का दौर चला और बाद में सभी नेताओं को आजाद कर दिया गया। गाय बचाओ,किसान बचाओ यात्रा निकालने और उसमें शामिल होने से रोकने के लिए पुलिस ने जनपद करीब सभी स्थानीय कांग्रेसी नेताओं को 24 दिसम्बर की रात से ही उनके घरों में नजरबंद कर दिया था। किसी भी नेता को घर से बाहर ही नहीं निकलने दिया जा रहा था।
इस पर कांग्रेसी नेता लगातार जबरदस्त नाराजगी जता रहे थे। बार बार आग्रह के बाद भी जब नजरबंदी नही हटायी गयी तो पूर्व केंद्रीय मंत्री रविवार से प्रशासन पर अधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए आमरण अनशन पर बैठ गये। इसके बाद भी कांग्रेसियों की नजरबंदी हटाने की मांग को प्रशासन हल्के में लिया। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार की सुबह एक बार फिर अधिकारियों से नजरबंदी हटाने की बात की लेकिन उनकी ओर से स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
इसके बाद श्री जैन ने उनको अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को याचिका भेजी। याचिका में इस मामले पर उच्चतम न्यायालय के मुख्यन्यायाधीश से स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया। श्री जैन के पुत्र गौरव जैन की ओर से भेजी गयी याचिका में उनके पिता और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके प्रदीप जैन आदित्य को झांसी पुलिस प्रशासन की ओर से दमनकारी और मनमाना रवैया दिखाते हुए गैरकानूनी रूप से उनके ही घर में बंद किये जाने के का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की गयी।
पत्र में बताया गया कि श्री जैन के घर को 25 दिसम्बर से छावनी में बदल दिया है। उन्हें बिना कोई कारण बताये बाहर कहीं भी जाने नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि उन्हें क्रिसमस पर चर्च और उसके बाद शहीदी दिवस पर गुरूद्वारे पर मत्था टेकने भी जाने से रोक दिया गया। जिला प्रशासन पर सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ मिलकर राजनीतिक दुराभाव से उनके पिता को निशाना बनाये जाने का आरोप लगाया गया। पुलिस की इस कार्रवाई को पूरी तरह से अवैध और कानून का खुला उल्लंघन बताते हुए उनके पिता को संविधान के अनुच्छेद 19, 21 और 22 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का हनन बताया।
याचिका में मुख्य न्यायाधीश से संविधान के आधारभूत नियमों के खिलाफ ऐसी कठोरता को अघोषित आपातकाल की संज्ञा देते हुए पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लेने और इस अवैध नजरबंदी को तुरंत खत्म किये जाने के आदेश संबंधित अधिकारियों को देने की मांग की गई। उच्चतम न्यायालय को कांग्रेसी नेता की ओर से भेजी गयी याचिका की जानकारी होते ही श्री जैन के घर पर हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू हुआ । प्रशासन के सुर पूरी तरह से ढीले हो गये और अधिकारी श्री जैन को अनशन समाप्त करने के लिए मनाने में जुट गये, लेकिन उन्होंनें पहले घरों में नजरबंद सभी स्थानीय कांग्रेसी नेताओं की रिहाई और उनके घर से भी पुलिस को पूरी तरह से हटाये जाने तथा बाहर कहीं भी जाने पर किसी भी तरह की रोक की बात नहीं मानने की बात कही।
याचिका के बाद घबराये प्रशासन ने आनन फानन में सभी नेताओं के घरों पर लगा पुलिस का पहरा हटा दिया और श्री जैन के घर को भी खाली कर दिया। रिहाई के बाद सभी कांग्रेसी नेता श्री जैन के आवास पर पहुंचे और खुशी का इजहार किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने हनुमान जी के मंदिर मे दर्शन के बाद सहयोगियों के साथ जूस पीकर आमरण अनशन समाप्त किया। इस पूरे घटनाक्रम पर श्री जैन ने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार पूरी तरह से दिशाहीन हो गयी है किसी मामले को सुलझाने का तरीका उसे पता ही नहीं है और इसी नासमझी में ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर दिये जाते हैं।
राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही चलने का काम करते है अगर हम नहीं चलेंगे तो कैसे मुद्दे उठाये जायेंगे तथा सरकार के कार्यों से विरोध किस तरह से जताया जा सकेगा। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गयी याचिका के संबंध में कहा कि इसमें कुछ न कुछ दिशा निर्देश जरूर दिये जायेंगे जिससे आगे विपक्षी दलों द्वारा किये जाने वाले प्रदर्शनों या किसी अन्य काम पर प्रशासन द्वारा लगाये जा सकने वाली रोक को लेकर तस्वीर सा