UP News : लोगों की आंखों में आंसू और दिलों में कसक छोड़ गया-2020
चन्द्रपाल सिंह
फर्रुखाबाद (हि.स.)। वर्ष 2020 लोगों की आंखों में आंसू और दिलों में कसक छोड़ गया है। पूरे वर्ष लोगों को कोरोनावायरस का भय सताता रहा। इस अज्ञात शत्रु ने न जाने कितनी माताओं की गोद खाली कर दी और न जाने कितनी बहनों की माथे का सिंदूर पोछ लिया। कुल मिलाकर वर्ष 2020 आज अलविदा कहने जा रहा है। इसने जो दर्द दिया है उसके चलते इसको कभी माफ नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर जाते-जाते 2020 ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है।
बानगी के तौर पर यदि फर्रुखाबाद जिले को ही ले लिया जाए तो यहां 4456 लोग कोरोना के दंश से बेजार रहे। 83 लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आकर संसार छोड़ गए। आज भी 58 लोग जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। जिनके बचने की आशा स्वास्थ्य विभाग छोड़ चुका है। कुल मिलाकर पूरी साल लोग कोरोनावायरस की वजह से सहमे रहे। इस वायरस को भगाने के लिए कहीं ताली बजी तो कहीं थाली, लेकिन इस वायरस का असर कम नहीं हुआ। पूरे विश्व में वायरस अपना कहर बरपाता रहा।और लोगों को अकाल काल के गाल पहुंचाता रहा। वैसे तो इस वायरस ने विश्व भर में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। लेकिन किसी किसी मौत ने दिल को झकझोर कर रख दिया।
कोरोना नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉक्टर राजीव कुमार शाक्य का कहना है अभी पुरानी साल के कुछ ही घंटे शेष बचे हुए हैं। लेकिन यह घंटे देश भर के हजारों लोगों के लिए 100 साल के बराबर साबित हो रहे हैं। यह वह लोग हैं जो कोरोनावायरस बीमारी से जूझ रहे हैं। हालांकि वर्ष 2020 के अंत में चिकित्सा जगत ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की खोज कर ली है। और यह वैक्सीन धीरे धीरे मार्केट में आ रही है। लेकिन इस वायरस से पूरी साल में जो तबाही हुई है उसको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल सिंह चौहान का कहना है कि वैसे तो हर साल कुछ ना कुछ होता रहता है। लेकिन वर्ष 2020 ने लोगों को जो संकट के दिन दिखाए हैं उन्हें भूला नहीं जा सकता। जिन लोगों के जवान बेटे और बेटियां इस कोरोनावायरस रूपी दानव ने लील लिए हैं उनके होठों पर अब आने वाले समय में हंसी लाना संभव नहीं है। इस वायरस ने दुनिया में जिन लोगों के दिलों में अंधेरा किया है उसको दूर करने के लिए कितने भी दिए जलाए जाएं कम पड़ जाएंगे। उन लोगों के दिलों में कभी खुशी का चिराग नहीं जल सकेगा। जिनके पति पुत्र और बहनें वायरस ने लील लिए हैं। वह इस 2020 को काला बर्ष के रूप में मनाएंगे। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इस पर पूरी तरह से काबू पाने का प्रयास किया है, लेकिन अभी तक काबू नहीं पाया जा सका। अब कोरोनावायरस सार्स कोरोनावायरस के रूप में लोगों को मार रहा है।
डॉक्टरों का मानना है कि अब कोरोनावायरस ठीक होने के बाद भी लोगों को मौत के घाट उतार रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण है कि फतेहगढ़ कोतवाली के बेवर रोड स्थित डॉ प्रभात दीक्षित के पुत्र राहुल दीक्षित उर्फ हनी दीक्षित कोरोनावायरस की चपेट में आ गए। और इलाज के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। लेकिन नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी उनकी हालत बिगड़ गई। और प्रभात दीक्षित को पुत्र शोक सहना पड़ा। इकलौता बेटा कोरोना की चपेट में आने के बाद ठीक होकर स्वर्ग सिधार गया। जिसके असहनीय दुख से आज भी प्रभात पूरी तरह से आहत हैं। इस तरह से न जाने कितने बेटा,बेटी इस दुनिया से चले गए हैं। जिनके बेटे जिनके परिजन इस कोरोनावायरस की चपेट में आकर दुनिया छोड़ गए हैं,उनके लिए यह साल दारुण दुख देने वाला रहा है। और उन्हें आने वाली नई साल का भी अब कोई इंतजार नहीं है। कुल मिलाकर वर्ष 2020 ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। कोरोनावायरस की वजह से जहां गरीब तबके के लोगों के सामने खाने पीने की समस्या उत्पन्न हुई। वही मध्यमवर्ग के लोग भी काम न मिलने से भुखमरी के कगार पर आ गए। हालांकि प्रधानमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत किसी भी व्यक्ति को भूखा नहीं मरने दिया गया,लेकिन हर व्यक्ति के हालात बद से बदतर रहे। हर दिल में वायरस का भय सताता रहा। और लोग बाहर निकलने से कतराते रहे। पूरा साल कोरोना के भय में ही समाप्त हो गया।
कोरोना रिस्पांस टीम के संजय बाथम का कहना है कि नई साल मनाने जिले के 6 लोग यूके से अपने घर आये।जिन्हें स्वास्थ्य विभाग की कड़ी निगरानी में रखा गया है।