UP News : रागनी की धुन से बन रहे घर, संवर रही तस्वीर
-जिले की पहली महिला राजमिस्त्री होने का गौरव
-महिला सशक्तिकरण की बनी मिसाल
कुशीनगर (हि.स.)। रागनी रहने वाली तो बेतिया (बिहार) की है। पर इधर तीन सालों से कुशीनगर के गांवों में लोगों के घर बनाकर परिवार की आजीविका चला ही रही महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश कर रही है।
जिले की पहली महिला राजमिस्त्री होने का गौरव प्राप्त रागनी का लक्ष्य बच्चों को अधिकारी बनाने का है। इन दिनों रागनी का हुनर फाजिलनगर विकास खण्ड के गांव लवकुश पश्चिम पट्टी में बन रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर हो रहे निर्माण कार्य में दिख रहा है। राजमिस्त्री के रूप में एक महिला को दीवार चुनाई, छत ढलाई, बीम ढलाई करते देख लोग आश्चर्य से भर जा रहे हैं।
35 साल की रागनी मूल रूप से बिहार के तहसील गबनाहा के गांव टहकौल की रहने वाली है। वह किराए के मकान में पति अरविन्द महतो के साथ रहती है। बेटे हिमांशु कुमार (11) और दिवांशु कुमार (9) श्वसुर अग्निदेव महतो (69) सास रम्भा देवी (65) के साथ गांव ही रहते हैं और वही पढ़ाई भी करते हैं। परिवार खेती पर आश्रित था। रागनी ने ससुराल में ही घर निर्माण में मजदूरी शुरू की। धीरे धीरे निर्माण कार्य सीख लिया। घर पर कार्य कम मिलता था और मजदूरी भी कम थी तो रागनी पति के साथ कुशीनगर चली आई। पति पत्नी दोनों संयुक्त कार्य करते है। इमारत दो मंजिल का हो या तीन मंजिल, ऊंचाई पर टिककर कार्य करने में रागनी को बिल्कुल डर नहीं लगता।
अधिकारी बनाना सपनारागनी बच्चों को राज मिस्त्री के कार्य में नहीं लगाना चाहती। रागनी का लक्ष्य बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर अधिकारी बनाने की है। जरूरी खर्च के बाद बची रकम बचत खातों में जमा करती है। रागनी का कहना है कि गृहस्थी के नित्य के कार्य भी हम मिलकर करते हैं।