UP News : भगवान श्री राम की तपोभूमि में शिव-पार्वती का स्वरुप बना भिक्षा मांग रहा बचपन

– यूपी-एमपी सरकार के भिक्षा वृत्ति निवारण कानून की चित्रकूट में उड़ रही धज्जियां
– कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में लगातार बढ़ रहीं बाल भिक्षुकों की संख्या 

चित्रकूट (हि.स.)। भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट स्थित कामदगिरि परिक्रमा में बाल भिक्षाकी सामने आयी तस्वीर देश के राजनेताओं, अधिकारियों और समाजसेवा का लबादा ओढ़े साधू-संतों की अंतरात्मा को झकझोरने के लिए काफी है। सरकारी योजनाओं के पहुंच से दूर होने और समाज के ठेकेदारों के अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेने के कारण परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मजबूर दर्जनोें मासूम बच्चे भिक्षा मांगने को मजबूर है।     
केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा बाल मजदूरी और भिक्षा रोकने के लिए बनाये गये कानून भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में प्रभावहीन साबित हो रहे है। धर्म नगरी के सुप्रसिद्ध तीर्थ कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में राम मोहल्ला से लेकर पूर्वी मुखारबिंद तक दर्जनों मासूम बच्चें के हाथों में कटोरा लेकर भीख मांगने की तस्वीर दिल को झकझोर देने के लिए काफी है। दर्जनों बाल भिक्षु तो नियमित रूप से भीख मांगते नजर आते ही है, लेकिन अमावस्या आदि प्रमुख पर्वों पर यह संख्या सैकड़ों में पहुंच जाती है। 
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बसे धर्म नगरी चित्रकूट में प्रतिमाह अमावस्या मेले में सीमावर्ती बांदा, सतना, रीवा, जबलपुर, भिंड आदि जिलों के एक सैकड़ा से अधिक बाल भिक्षु भीख मांगते नजर आते हैं। कुछ मासूम बच्चें आने वाले तीर्थ यात्रियों को प्रभावित करने के लिए कभी भगवान शिव-पार्वती तो कभी भगवान श्रीकृष्ण और राधा का रूप बनाकर भिक्षा मांगते नजर आते है। इतना ही नहीं कई पुराने भिखारी अपने परिवार के मासूम बच्चों पढ़ाने-लिखाने की बजाए उन्हें भिक्षा वृत्ति के धंधे में धकेल रहे है। प्रतिदिन दर्जनों राजनेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों के कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाने के बावजूद बाल भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। दिनो-दिन बाल भिक्षुकों की संख्या बढ़ती जा रही है। 
इस मामले में कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महराज का कहना है कि चित्रकूट में बढ़ती बाल भिक्षा वृत्ति चिंता जनक है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में भिक्षावृत्ति निवारण कानून लागू होने के बावजूद चित्रकूट में बाल भिक्षावृत्ति थमने का नाम नहीं ले रहीं है। जबकि इस कठोर कानून के तहत मासूम बच्चों से भीख मंगवाने पर 05 वर्ष की सजा एवं एक लाख तक के जुर्मााने का प्रावधान है।वहीं, समाजसेवी केशव शिवहरे, रामबाबू गुप्ता एवं नीरज गौतम आदि का कहना है कि मासूम बच्चों का भिक्षा मांगना बहुत ही दुःखद है। सरकार द्वारा बाल संरक्षण कानून के तहत मासूम बच्चों को संरक्षित कर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की पहल की जानी चाहिए। इसके अलावा मासूम बच्चों को भिक्षावृत्ति में धकेलने वालों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।  
वहीं, जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय का कहना है कि बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। चित्रकूट के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दो प्रदेशों के बीच बंटे होने के कारण बाल भिक्षुकों पर प्रभावी अंकुश लग नहीं लग पा रहा है। ज्यादातर बाल भिक्षु मध्य प्रदेश क्षेत्र के है। जल्द ही दोनों प्रदेशों के अधिकारी मिलकर संयुक्त अभियान चलाकर बाल भिक्षुकों को चिन्हित करेगेें। इसके बाद उन्हें सरकारी योजनाओं से लाभान्वित कर भिक्षा वृत्ति से मुक्ति दिलाकर विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की पहल करेंगे। इसके साथ ही मासूमों को भिक्षा मांगने के लिए मजबूर करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। 

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