UP News : पुस्तक से किन्नरों के लिए योजनाएं बनाने में मिलेगी मदद : चन्द्र देव
‘किन्नरों की स्थिति एवं परिस्थिति पर एक रिपोर्ट’ पुस्तक का किया गया विमोचन
प्रयागराज (हि.स.)। किन्नरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इनको पेंशन योजना से जुड़ कर अपनी पहचान बनाने की जरुरत है। किन्नरों पर आधारित राज्य स्तरीय रिपोर्ट से राज्य सरकार, समाज कल्याण विभाग को किन्नरों के लिए बोर्ड और योजनाएं बनाने मे काफी मदद मिलेगी।
उक्त विचार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के उपकार एवं कल्याण आयुक्त चन्द्र देव ने गुरुवार को बीओसी वर्कर फेडरेशन ऑफ इण्डिया एवं समर्पित ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में श्रम मंत्रालय भारत सरकार के केन्द्रीय सदन सिविल लाइन्स स्थित मीटिंग हाल में ‘किन्नरों की स्थिति एवं परिस्थिति पर एक रिपोर्ट’ पुस्तक का विमोचन करते हुए व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इसी से बुढ़ापे का सहारा बनाया जा सकता है। किन्नरों पर प्रकाशित रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि इनके लिए बहुत काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी को सामूहिक रूप से आगे आना होगा।
केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, भारत सरकार अधीक्षण अभियंता रविन्द्र यादव ने कहा कि आज हमारे बीच ये ऐसा तबका है जो हमेशा से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा है। इनका आशीर्वाद तो हम लेते हैं। लेकिन, इनको वो मान सम्मान नहीं देते हैं। इनको मुख्य धारा में लाने की जिम्मेदारी समाज के साथ हम लोगों की है। इस रिपोर्ट के माध्यम से वो सारी जानकारी हम लोगों को हुई है। उन जानकारियों से हम अभी तक अनभिज्ञ थे। उन्होंने किन्नरों की परिस्थितियों पर रिपोर्ट पुस्तक प्रकाशित करने वाले नाजिम अंसारी को बधाई भी दी।
श्रम मंत्रालय की कल्याण प्रशासक रश्मि रेखा ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के बारे में जानकारी दी। रुची मंजरी सिंह ने कहा कि किन्नर समाज के जो एकल किन्नर हैं, उनके हिसाब से उन्हें अगर वोकेशनल ट्रेनिंग दिया जाये तो ये औरों से अच्छा कर सकते हैं। इन्हें एक मौका देने की जरुरत है।
उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड उ.प्र सरकार सदस्य राजनाथ यादव ने कहा कि सरकार किन्नर वेलफेयर बोर्ड के गठन की दिशा में कार्य कर रही है। लेकिन इस मुद्दे पर और पैरवी करने की जरुरत है। पुस्तक के लेखक नाजिम अंसारी ने बताया कि ये बहुत मुश्किल काम था किन्नरों के साथ संवाद कर उनके विचार लेना। क्योंकि उनको हमेशा से सरकार और घर परिवार के साथ समाज से सौतेला व्यव्हार मिला है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकारें कुछ सक्रिय हुई तो कुछ राज्यों ने वेलफेयर बोर्ड कागजों पर बना दिया, काम एक ढेला का नहीं हुआ। उप्र तो इस मामले में अत्यंत पिछड़ा है। इसलिए उप्र के किन्नरों की स्थिति एवं परिस्थिति पर इस रिपोर्ट को प्रकाशित करनी पड़ी, जो इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही किन्नर अखाड़ा, उप्र प्रयागराज की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी ने कहा कि हम लोग तो समाज के लिए ही जीते और मरते हैं। आप की खुशियों में शरीक होते हैं, गम में भी जाते हैं, बुरे वक्त में मदद भी करते हैं। लेकिन, समाज इन सब कार्यों को नहीं देखता है। किन्नरों में बुराइयां देखता है। जबकि हमारा अस्तित्व ही समाज और आप लोगों से है। इसलिए किन्नर समाज को आप के स्नेह और सम्मान की दरकार है।