UP News :अजय लल्लू ने तदर्थ खेल प्रशिक्षकों के मानदेय को लेकर मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र
-आठ महीने से नहीं मिला मानदेय, स्वतंत्र देव सिंह से भी मुलाकात कर चुके हैं खेल प्रशिक्षक
-आश्वासन के बावजूद अभी तक नहीं हुई पहल, कार्यकाल का नवीनीकरण करने की भी मांग
लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने खेल प्रशिक्षुओं को लाकडॉउन से अब तक मानदेय नहीं मिलने पर चिन्ता जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।
अजय लल्लू ने कहा कि ये तदर्थ खेल प्रशिक्षक अत्यंत प्रतिभावान खिलाड़ी के रूप में अपने देश, प्रदेश की सेवा कर चुके हैं। इनमें से अधिकतर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर भारत और उत्तर प्रदेश का मान सम्मान बढ़ा चुके हैं। इनकी इस प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने खेल निदेशालय के अंतर्गत उन्हें भविष्य के होनहार खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का दायित्व सौंपा था। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि खेल प्रशिक्षकों का हमारे समाज में उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाने के साथ-साथ युवाओं के स्वस्थ नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करने में अहम योगदान है। यह देखा गया है कि अधिकांश ग्रामीण परिवेश से आने वाले खिलाड़ी अपना संपूर्ण जीवन खेल को ही समर्पित कर देने की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं भाग ले पाते हैं। इसका दुष्प्रभाव उनके खेल कैरियर के समाप्त होने के बाद दिखाई पड़ता है।
उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय द्वारा संचालित क्रीड़ांगनों में कार्यरत तदर्थ प्रशिक्षक अनेक वर्षों से बेहद कम मानदेय पर ही जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी-एनआईएस डिप्लोमाधारी का मानदेय 30,000, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का 27000, एनआईएस डिप्लोमाधारी का 25000 और राज्य स्तरीय खिलाड़ी का मानदेय 20,000 रुपये है।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय में 450 पद तदर्थ खेल प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षकों के लिए स्वीकृत है। वर्तमान समय में कार्यरत तदर्थ खेल प्रशिक्षकों की संख्या 377 है। इन सभी प्रशिक्षकों में कई विगत 20 से 30 वर्षों से बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। कई खेल प्रशिक्षक 12 से 15 वर्षों से और अनेक बीते पांच से छह वर्षों से निरंतर प्रशिक्षण का कार्य देख रहे हैं।
इनकी सेवा नियमावली में इनसे शपथ पत्र लिया जाता है कि अपने तदर्थ प्रशिक्षण की नियुक्ति के दौरान वे कहीं और सेवाएं नहीं प्रदान कर सकेंगे और गृह जनपद में भी तैनाती नहीं पा सकेंगे। इस तरह जो शिक्षक वर्षों से निरंतर अपनी सेवाएं खेल निदेशालय को समर्पित कर चुके हैं, अपने गृह जनपद से दूर रहें और उनकी सेवाओं के बदले तयशुदा मानदेय ही मिलता रहे तो स्पष्ट है कि उनकी आर्थिक उन्नति के सभी द्वार बंद हो चुके हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सबसे दुखद स्थिति है कि लगभग 4 महीने पहले तदर्थ प्रशिक्षक अपनी संस्था डिप्लोमा धारक खेल प्रशिक्षक एसोसिएशन के तत्वाधान में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात कर चुके हैं। तब उन्हें आश्वासन भी मिला था और स्वतंत्र देव सिंह ने खेल राज्यमंत्री से मानदेय दिए जाने के विषय पर सहमति प्राप्त कर ली थी। इसके साथ ही तदर्थ खेल प्रशिक्षक के कार्यकाल का नवीनीकरण करने का भी आश्वासन दिया गया था। लेकिन, उनके किसी भी आश्वासन पर आज तक कोई पहल नहीं हुई।
वहीं उत्तर प्रदेश कीड़ा निदेशालय के निदेशक ने इन प्रशिक्षकों के मानदेय ना मिलने के कारण को शासन से स्वीकृति नहीं प्राप्त होना बताया है। दूसरी ओर प्रमुख सचिव कीड़ा ने इन शिक्षकों से कार्यालय में भेंट करने से भी इनकार कर दिया है। इसलिए खेल प्रशिक्षकों के मानदेय का भुगतान किए जाने और उनके तदर्थ क्रीड़ा प्रशिक्षक के कार्यकाल का नवीनीकरण किए जाने का अनुरोध किया है।