UP News : हिन्दू संस्कृति के संरक्षण के लिए संत संभालें जिम्मेदारी : इंद्रदेवानंद सरस्वती

मथुरा(हि.स.)। हिन्दू संस्कृति के संरक्षण के लिए श्रीधाम वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित किशोरी कृपा धाम में शनिवार को संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग सौ से अधिक संतों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेवानंद सरस्वती ने कहा कि हिन्दू संस्कृति पर पूरी तरह से पश्चिमी सभ्यता हावी है। आज हमारे छोटे-छोटे बच्चे अपने धर्म की बातों को नहीं जानते हैं, क्योंकि उन्हें घर में धार्मिक माहौल दिया ही नहीं जाता। जब तक हम अपने बच्चे को मंदिर नहीं ले जाएंगे,अपने शास्त्रों के बारे में नहीं बताएंगे तो वह कैसे जानेंगे।

अघोर पीठाधीश्वर स्वामी बालयोगेश्वर महाराज ने बताया कि आज हम स्वयं ही अपने धर्म के पतन का कारण बनते जा रहे हैं। जब से हमने शिखा और जनेऊ का त्याग किया है तब से हम अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में ऐसे मगन हो गए हैं जैसे इसी में इनका जन्म हुआ हो। बच्चों को फिल्मी गाने तो याद हैं परंतु रामायण की एक चौपाई याद नहीं है। ऐसे कैसे हम अपने धर्म का विकास कर पाएंगे।

भागवत प्रवक्ता कौशिक महाराज ने कहा कि आज संतों को आगे आकर अपने धर्म का बचाव करना चाहिए। यदि इस समय सभी संत शांत बैठे रहें तो वह दिन दूर नहीं कि हिंदू धर्म एक इतिहास बनकर रह जाएगा।

भागवत प्रवक्ता अनिरुधाचार्य महाराज ने बताया कि आज हम सब लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है कि अपने आगे आने वाले भविष्य यानी हमारे बच्चों में यह संस्कार डालें कि वह अपने धर्म को पहचाने और उसका सम्मान करें। आज तमाम हिंदू अपने धर्म के देवी देवता का मजाक उड़ाते हुए दिख जाते हैं। शादियों में आजकल फैशन बन गया है कि ठाकुर जी के स्वरूप को पंडाल में घुमाते हैं। यह बहुत ही गलत कार्य है, इसको तत्काल रुप से बंद करना चाहिए। सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। आज हमें मिलकर इसका बचाव करना चाहिए।

संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी चित्त प्रकाशानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी आदित्य आनंद महाराज, स्वामी अवधेशानंद, मोहिनी बिहारी शरण महाराज, भागवत प्रवक्ता मनोज मोहन शास्त्री आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे।

error: Content is protected !!