UP News : सरकार की पहल से कम हो रहा है कामगारों का दर्द

रायबरेली (हि. स.)। असंगठित क्षेत्र के कामगारों का दर्द सरकार की एक पहल से कम हो रहा है। हजारों पंजीकृत श्रमिकों को चिकित्सा सहायता योजना के जरिये राहत दी जा रही है। हालांकि कोरोना काल मे यह उनके लिए कितना मुफीद होगी, इस पर बहस हो सकती है लेकिन सरकार की इस योजना से राहत जरूर मिल रही है। कोरोना काल मे सबसे ज्यादा प्रभावित कोई है तो वह कामगार हैं। इनके काम धंधे जहां बंद हैं वहीं घर में आकर यहां वह स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मजदूरी कर रहे हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने के कारण इनके लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था नहींं थी। मजदूरों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर कहीं से कोई सहायता नही मिलती थी। ऐसे में प्रदेश की योगी सरकार इस योजना से मजदूरों को बड़ी राहत मिल रही है।                रायबरेली में भी करीब एक लाख पांच हजार से ज्यादा मजदूर पंजीकृत है। यह निर्माण क्षेत्र सहित विभिन्न कामो में लगे हैं। अभी तक कुल 9097 मजदूरों ने चिकत्सा सहायता के लिए आवेदन किया है जिसमे कइयों का खाते में तीन हजार की राशि भेजी जा चुकी है। शेष सहायता भी जल्द ही भेजने की तैयारी है। इस बाबत जिले के श्रम विभाग ने शासन को पत्र लिखा है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को यह तात्कालिक राहत उनके लिए किसी वरदान से कम नही है। हालांकि मजदूरों का कहना है कि इस राशि को और बढ़ाने की आवश्यकता है।                                            सहायक श्रमायुक्त शंकर प्रसाद के अनुसार पंजीकृत श्रमिकों के चिकत्सा हेतु यह धनराशि उपलब्ध कराई जाती है जिससे लाभान्वितों की संख्या बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश में मजदूरों को बीमारी में आर्थिक मदद हो सके इसके लिये इस योजना में एक साल में तीन हजार की सरकारी मदद का प्रावधान किया गया है।यह पंजीकृत मजदूरों को साल में एक बार दी जाती है। सरकार पंजीकृत मजदूरों के परिवार को एक इकाई मानकर बीमारी की स्तिथि में उन्हें यह सहायता उपलब्ध कराती है। चूंकि बीमारी के दौरान मजदूर काम नही कर सकता ऐसे में यह उन्हें फौरी राहत देता है। इस योजना में यदि पति पत्नी दोनों पंजीकृत हैं तो सहायता राशि पत्नी के खाते में आएगी। यदि मजदूर अविवाहित है तो उसे दो हजार की राशि मिलेगी। इस योजना का लाभ साल में केवल एक बार लिया जा सकता है।                         

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