हिस्ट्रीशीटर की काली कमाई को करते थे सफेद
प्रादेशिक डेस्क
कानपुर। विकास दुबे को एसटीएफ ने भले ही कफन ओढ़ा दिया हो, लेकिन उसकी कमाई के राज अभी दफन नहीं हुए हैं। वसूली से आने वाली कमाई को सफेद करने का ठेका केवल जय बाजपेयी के पास ही नहीं था बल्कि चार अन्य ’मैनेजर’ भी थे, जो ब्लैक एंड व्हाइट का धंधा करते थे। जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक बिकरू कांड से पहले इन चारों के पास विकास के 18 करोड़ रुपए थे, जो उसकी मौत के बाद उनकी जेब में चले गए। ये खुलासा जय के अलावा रडार में लिए गए अन्य लोगों की पड़ताल में हुआ है। विकास शातिर दिमाग था लेकिन अपराध में। पैसे को कहां निवेश करना है, कैसे खपाना है और किस सेक्टर में खपाना है ताकि कमाई दिन दूनी रात चौगुनी हो, ये दिमाग जय के अलावा चार अन्य मैनेजर लगाते थे। विकास का रहन-सहन साधारण था लेकिन जय की जिंदगी एशो-आराम से गुलजार है। यही हाल अन्य चारों का है जो विकास की काली कमाई से ऐश करते थे। सूत्रों के मुताबिक 18 करोड़ की इस रकम का आधा हिस्सा ब्याज पर बांट रखा था। इससे उन्हें 55 लाख रुपए महीने की कमाई होती थी। इसका आधा हिस्सा विकास के पास जाता था और शेष रकम से उनके मैनेजर मौज उड़ाते थे। आधी रकम व्यापारियों और उद्यमियों के कारोबार में खपाई थी। फैक्टरी उद्यमी के नाम होती थी और पैसा विकास का लगता था। यहां से भी हर महीने बंधी रकम विकास के पास इन्हीं मैनेजरों के जरिए पहुंचती थी।
विकास दुबे ने नोटबंदी के दौरान ज्यादातर कमाई दूसरों के जरिए सफेद कराई। 8 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 के बीच उसने अपने बैंक खाते में दो बार में 3.5 लाख रुपए जमा कराए थे। विकास दुबे और उसके फंड मैनेजर जय बाजपेयी की आर्थिक कुंडली खंगाल रही पुलिस और एटीएस दोनों के बैंक खातों की पड़ताल कर रही हैं। यह साफ होने के बाद कि विकास ने जय बाजपेयी की पत्नी श्वेता बाजपेयी के खातों में भी लाखों रुपए ट्रांसफर किए, अब नोटबंदी के दौरान जमा रकम का ब्योरा जांच एजेंसियां जुटा रही हैं। विकास ने शिवली स्थित पंजाब नेशनल बैंक के अपने खाते में 9 नवंबर को दो लाख रुपए जमा कराए। फिर एक बार डेढ़ लाख रुपए जमा किए। इसी तरह जय बाजपेयी ने अपने खातों में करीब 14 लाख रुपए नोटबंदी के दौरान खपाए। एसबीआई आरके नगर ब्रांच में इस वक्त उसके खाते में लगभग 76 हजार रुपए हैं, जबकि इसी ब्रांच में उसकी पत्नी का भी खाता है जिसमें 3600 रुपए जमा हैं। तीनों के पैन के जरिए उनके अन्य खातों की तलाश जांच एजेंसियां कर रही हैं।
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