UP News : दिव्य कार्तिक माह के पहले दिन गंगाघाटों पर बढ़ी रौनक,आस्था की लगी डुबकी

-श्रद्धालुओं ने लिया माह पर्यन्त गंगा स्नान का संकल्प, धर्म कर्म में बढ़ी रूचि
वाराणसी (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में दिव्य कार्तिक माह के पहले दिन रविवार को गंगाघाटों पर स्नानार्थियों के चलते चहल—पहल बनी रही। श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य की किरणों के पहले ही गंगा में डुबकी लगाई। 
स्नान ध्यान के बाद दानपुण्य कर माह पर्यंत गंगा स्नान का संकल्प लिया। स्नान ध्यान का सिलसिला दिन चढ़ने तक प्राचीन दशाश्वमेधघाट, पंचगंगा, तुलसीघाट, अहिल्याबाई घाट पर बना रहा। श्री हरि को प्रिय कार्तिक माह में गंगा स्नान और दानपुण्य का खास महत्व है। इस महीने में व्रत और संयमित जीवन बेहद महत्वपूर्ण जाना जाता है। माना जाता है कि इस दौरान अगर सनातन धर्म में बताये गये नियमों का पालन किया गया तो सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
ज्योतिषविद कर्मकांडी आचार्य मनोज उपाध्याय ने रविवार को बताया कि संतों के चातुर्मास का यह आखिरी महीना है। इसी माह से देव तत्व मजबूत होता है। दिव्य महीने में तुलसी का रोपण और विवाह सर्वोत्तम होता है। माह भर पूर्वजों का पथ आलोकिक करने के लिए शाम को दीपदान और दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में ही धन त्रयोदशी, दीपावली और गोपाष्टमी जैसा बड़ा पर्व मनाया जाता है। 
उन्होंने कहा कि इसी माह में चराचर जगत के स्वामी भगवान विष्णु योग निद्रा से जगते है। कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन भी जरूरी है। कार्तिक मास में जमीन पर सोना चाहिए। जमीन पर सोने से मन में पवित्र विचार आते हैं। ऐसा माना जाता है। इस माह में आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाना भी शुभ माना जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आमला (आंवला) नवमी पर आंवला वृक्ष की पूजा परिक्रमा की जाती है।

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