UP News:शिक्षक विधायक के निर्वाचन की पूरी तैयारियां

कल होगा 11 सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षक विधायक यानी विधान परिषद के चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश में कल यानी एक दिसंबर को होने वाले मतदान में 11 सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। मतदान सुबह आठ से शाम पांच बजे तक होगा। इसका परिणाम तीन दिसंबर को आएगा। इस बार स्नातक सीट पर करीब एक लाख और शिक्षक सीट पर करीब 10 हजार वोटर बढ़े है।
उत्तर प्रदेश की विधानपरिषद में शिक्षक एवं स्नातक कोटे की 11 सीटों पर एक दिसंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों को राजनीति के दलदल से अलग रखने के लिए दलीय चुनाव की मनाही है लेकिन राजनीतिक दलों ने इस चुनाव को भी राजनीति के रंग में पूरी तरह रंग दिया है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 11 सदस्यों (एमएलसी) के चुनाव पर सबसे ज्यादा जोर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगा रखा है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इन 11 सीटों में ज्यादातर अपने पक्ष में कर ले जिससे विधान परिषद में भी उसकी ताकत बढ़ जाए। विधान परिषद की शिक्षक और स्नातक कोटे की सीटों पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए हमेशा से सपना रहा है. स्नातक कोटे की जिन पांच सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें दो वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी सीट भाजपा के पास थीं। आगरा सीट पर समाजवादी पार्टी, मेरठ तथा लखनऊ सीट पर शिक्षक दल का कब्जा था। शिक्षक वर्ग की छह छह सीटों में तीन पर शिक्षक दल शर्मा गुट, एक पर सपा समर्थित और दो पर निर्दलीय काबिज थे। परिषद की इन सीटों पर कब्जा करने की कोशिश में राजनीतिक दलों ने अपनी विचारधारा को आगे कर रखा है।

शर्मा गुट का है अब तक वर्चस्व

शिक्षक एवं स्नातक वर्ग की सीटों पर बीते कई दशक से शिक्षक संघ के नेताओं का कब्जा बना हुआ है। मेरठ में शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के एमएलसी चुनाव में अब तक ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी रहा है। शिक्षक सीट पर ओम प्रकाश शर्मा बीते 48 साल से चुनाव जीतते आ रहे हैं। वह अब तक आठ बार लगातार एमएलसी निर्वाचित हो चुके हैं। मेरठ की स्नातक सीट से भी उनके ही गुट के हेम सिंह पुंडीर भी लगातार चार बार से एमएलसी चुने गए हैं। इस सीट पर पिछले चुनाव में जरूर राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी उतारने की कोशिश की थी लेकिन इससे पहले राजनीतिक दल भी इन चुनावों को शिक्षक व स्नातक वर्ग के लोगों तक ही सीमित रखते थे। राजनीतिक दलों के समर्थित शिक्षक गुट जरूर चुनाव लड़ते रहे हैं। इसके बावजूद अब तक देखा गया है कि इन 11 सीटों से निर्वाचित सदस्यों की निष्ठा राजनीतिक दलों के साथ कम और शिक्षक वर्ग के साथ अधिक रहती आई है। इस बार जरूर सीन बदला हुआ है।
विधान परिषद सदस्य शिक्षक क्षेत्र और विधान परिषद सदस्य स्नातक क्षेत्र में मतदान के दौरान बैलट पेपर का प्रयोग होगा और मतदाताओं को संभल कर मतदान करना होगा। इनको प्रत्याशी के नाम के आगे रोमन भाषा में 1, 2, 3 आदि लिखना होगा। इसके लिए सभी मतदाता को पीठासीन अधिकारी से मिले स्केच पेन का ही इस्तेमाल करना होगा नहीं तो मत अवैध करार दे दिया जाएगा। मतदाता को अपना पहचान पत्र दिखाना आवश्यक होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि यदि निर्वाचक अपना निर्वाचन फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं तो आधार कार्ड, ड्राविंग लाइसेन्स, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, राज्य एवं केन्द्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्थानीय निकाय या अन्य निजी औद्योगिक घरानों के अपने कर्मचारियों को जारी किये गये सेवा पहचान-पत्र, सांसदों विधायकों विधान परिषद सदस्यों को जारी आधिकारिक पहचान-पत्र, दिखा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें संबंधित शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक नियोजित हो, द्वारा जारी सेवा पहचान-पत्र, विश्वविद्यालय द्वारा जारी उपाधि अथवा डिप्लोमा का प्रमाण पत्र, मूलरूप में एवं सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी दिव्यांगता संबंधी प्रमाण-पत्र, मूलरूप में अनुमन्य होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही उत्तर प्रदेश विधान परिषद के मेरठ खण्ड स्नातक, आगरा खण्ड स्नातक, वाराणसी खण्ड स्नातक, लखनऊ खण्ड स्नातक एवं इलाहाबाद-झांसी खण्ड स्नातक तथा मेरठ खण्ड शिक्षक, आगरा खण्ड शिक्षक, वाराणसी खण्ड शिक्षक, लखनऊ खण्ड शिक्षक, बरेली-मुरादाबाद खण्ड शिक्षक एवं गोरखपुर-फैजाबाद खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के द्विवार्षिक निर्वाचन के लिए फोटो पहचान पत्र हो गए हैं।

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