भारी बारिश के बाद टेंट गिरा, फिर मंदिर परिसर की दीवार हुई ध्वस्त
सिम्हाचलम मंदिर हादसा में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटीं
राज्य डेस्क
विशाखापट्टनम। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम जिले में स्थित प्रसिद्ध सिम्हाचलम मंदिर हादसा में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। हादसा उस समय हुआ जब भारी वर्षा के कारण एक अस्थायी टेंट गिरा और उसके दबाव में मंदिर परिसर के पास बनी एक पुरानी दीवार ढह गई। हादसे के बाद मंदिर क्षेत्र में अफरातफरी मच गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सिम्हाचलम मंदिर हादसा उस समय हुआ, जब बुधवार को ’नरसिंह जयंती’ के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे थे। इसी दौरान मौसम अचानक बिगड़ गया और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। प्रशासन द्वारा लगाए गए अस्थायी टेंट में दर्शनार्थियों को आश्रय दिया गया था, लेकिन बारिश के कारण टेंट का ढांचा कमजोर पड़ गया और वह गिर पड़ा। टेंट के नीचे खड़े लोग सुरक्षित निकल पाते, उससे पहले ही एक साइड की दीवार भरभरा कर गिर गई।
भारी बारिश बनी दीवाल गिरने की वजह
सिम्हाचलम मंदिर हादसा के बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। कई लोग मलबे में दब गए, जबकि अन्य जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ पड़े। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने तुरंत घायलों को मलबे से निकालने का प्रयास किया। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया गया।

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एनडीआरएफ ने सम्हाला मोर्चा
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल की टीमें भी तत्काल मौके पर पहुंचीं। भारी बारिश के बावजूद राहत कर्मियों ने तेजी से बचाव कार्य को अंजाम दिया। अब तक आठ लोगों के शव निकाले जा चुके हैं, जबकि 16 घायलों को विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सिम्हाचलम मंदिर हादसा पर सीएम का शोक
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सिम्हाचलम मंदिर हादसा पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने जिला प्रशासन से हादसे की पूरी जानकारी मांगी और घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी, जबकि घायलों को निःशुल्क इलाज मुहैया कराया जाएगा।
राज्य सरकार ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और मंदिर प्रबंधन से टेंट और दीवार की संरचनात्मक स्थिति की रिपोर्ट तलब की है। विपक्षी दलों ने हादसे को प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बताया है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर उठे सवाल
सिम्हाचलम मंदिर हादसा के बाद श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, खासकर धार्मिक पर्वों पर। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त तैयारी की थी? न तो बारिश की पूर्व चेतावनी को गंभीरता से लिया गया, न ही टेंट और दीवारों की स्थिति की जांच की गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि मंदिर परिसर में कई पुरानी दीवारें वर्षों से क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं, लेकिन उनकी मरम्मत को नजरअंदाज किया गया।
सिम्हाचलम मंदिर हादसा : सबक और ज़िम्मेदारियां
सिम्हाचलम मंदिर हादसा एक बार फिर दर्शाता है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्कता जरूरी है। श्रद्धालुओं की जान की कीमत किसी भी आयोजन से अधिक है। सिम्हाचलम मंदिर हादसे ने न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि यह भी बताया कि हमें आपदा से निपटने के तौर-तरीकों में सुधार की सख्त ज़रूरत है।

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