Shravasti News: तहसील में चलाया गया नशा मुक्ति अभियान
डीएम, एसपी ने बैनर पर हस्ताक्षर बनाकर लोगो को किया प्रेरित
संवाददाता
श्रावस्ती। नशा करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ ही उनकी आर्थिक क्षति भी होती है। इसलिए नशा जैसी आदतों को क्या-किया जाए ताकि स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ ही आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। उक्त विचार तहसील भिनगा में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान तहसील कैंपस में चलाए जा रहे नशा मुक्त अभियान का हस्ताक्षर बनाकर शुभारंभ करने के दौरान जिलाधिकारी टीके शिबु ने व्यक्त किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि नशा एक ऐसी बुराई है, जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है, शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदकि, निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।
यह भी पढ़ें : बोको हरम ने ली नाइजीरिया के स्कूली छात्रों के अपहरण की जिम्मेदारी
देश में नशाखोरी में युवावर्ग सर्वाधिक शामिल हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाव, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। आजादी के बाद देश में शराब की खपत 60 से 80 गुना अधिक बढ़ी है। यह भी सच है कि शराब की बिक्री से सरकार को एक बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है। मगर इस प्रकार की आय से हमारा सामाजिक ढांचा क्षत−विक्षत हो रहा है और परिवार के परिवार खत्म होते जा रहे हैं। हम विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में शराब बंदी के लिए कई बार आंदोलन हुआ, मगर सामाजिक, राजनीतिक चेतना के अभाव में इसे सफलता नहीं मिली। राजस्थान में एक पूर्व विधायक को शराब बंदी आंदोलन में लम्बे अनशन के बाद अपनी जान तक गंवानी पड़ी। सरकार को राजस्व प्राप्ति का यह मोह त्यागना होगा तभी समाज और देश मजबूत होगा और हम इस आसुरी प्रवृत्ति के सेवन से दूर होंगे। इस अवसर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी राकेश रमन, जिला प्रोबेशन अधिकारी चमन सिंह, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी मोहन त्रिपाठी, एनजीओ गुलिस्ता फाउण्डेशन की गुलशन जंहा उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें : महंगी हो गई घरेलू गैस, जानिए अब कितना में मिलेगा नया सिलेंडर