सालार मसूद गाजी और राजा सुहेलदेव के बीच हुई थी जंग
भाजपा समेत सहयोगी दल सालार मसूद गाजी को मानते हैं विदेशी आक्रांता
जानकी शरण द्विवेदी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर लगने वाले नेजा मेले पर प्रतिबंध लगाए जाने का मामला इन दिनों चर्चा में है। इतिहास के पन्नों में दर्ज तथ्यों के अनुसार, सैयद सालार मसूद गाजी का न केवल संभल बल्कि बहराइच से भी गहरा संबंध है।
कौन था सैयद सालार मसूद गाजी?
इतिहासकारों के मुताबिक, सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। वह प्रसिद्ध विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और उसकी सेना का सेनापति था। महमूद गजनवी ने भारत पर कई बार आक्रमण किए और अपनी सत्ता का विस्तार किया, जिसके बाद सालार मसूद ने भी इसी नीति को अपनाया। वह तलवार की धार पर अपनी विस्तारवादी सोच को आगे बढ़ाने के लिए 1030-31 के आसपास उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी सेना लेकर निकला।
अवध और बहराइच में सालार मसूद का प्रवेश
इतिहासकार बताते हैं कि सालार मसूद गाजी अपनी सेना के साथ बाराबंकी के सतरिख होते हुए बहराइच और श्रावस्ती के इलाकों में पहुंचा। उस समय यह क्षेत्र महाराजा सुहेलदेव के शासन के अंतर्गत था। सालार मसूद गाजी यहां के राजाओं के साथ युद्ध करते हुए आगे बढ़ा, लेकिन स्थानीय शासकों की प्रतिरोधक शक्ति ने उसे आगे बढ़ने से रोक दिया।
1034 ईस्वी में बहराइच जिला मुख्यालय के पास बहने वाली चित्तौरा झील के किनारे महाराजा सुहेलदेव ने 21 अन्य छोटे-छोटे राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी की सेना पर हमला बोला। यह युद्ध इतना भयंकर था कि इसमें सालार मसूद और उसकी सेना पूरी तरह पराजित हो गई। युद्ध में सालार मसूद गाजी मारा गया और उसके सैनिक भी बड़ी संख्या में हताहत हुए।
यह भी पढें : गुरुवार को गोंडा आएंगे CM, यह है कार्यक्रम
बहराइच में कब्र और मकबरे का निर्माण
सालार मसूद गाजी की मृत्यु के बाद उसे बहराइच में दफना दिया गया। मान्यता है कि जिस स्थान पर उसे दफनाया गया, वहां पहले ऋषि बालार्क का आश्रम था और पास में ही एक कुंड था, जिसे सूर्यकुंड कहा जाता था। सालार मसूद गाजी की मौत के करीब 200 साल बाद, 1250 ईस्वी में दिल्ली के तत्कालीन शासक नसीरुद्दीन महमूद ने उसकी कब्र पर एक मकबरा बनवाया और उसे एक संत के रूप में पहचान दिलाने का प्रयास किया।
इसके बाद, मुगल शासक फिरोज शाह तुगलक ने इस मकबरे का विस्तार कराया और उसके चारों ओर कई गुम्बद और अब्दी गेट का निर्माण कराया। कालांतर में यह स्थान सालार मसूद गाजी की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध हो गया, जहां हर साल एक विशेष मेले का आयोजन होने लगा, जिसे ‘दरगाह मेला’ कहा जाता है।
हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h

विवादों में क्यों आया सालार मसूद गाजी?
इतिहासकारों के अनुसार, सालार मसूद गाजी एक आक्रांता और महमूद गजनवी के विस्तारवादी एजेंडे का हिस्सा था। वह भारतीय शासकों के खिलाफ लड़ता रहा और इस क्षेत्र में सत्ता स्थापित करना चाहता था, लेकिन महाराजा सुहेलदेव ने उसे पराजित कर दिया। हालांकि, बाद के वर्षों में उसे एक सूफी संत के रूप में प्रचारित किया गया और बहराइच में उसकी दरगाह को आस्था का केंद्र बना दिया गया। संभल जिले में नेजा मेले पर प्रतिबंध के फैसले ने इस पूरे मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। कई लोग इसे एक ऐतिहासिक युद्ध की हार के बाद की सच्चाई मानते हैं, तो कुछ इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर देखते हैं।
सालार मसूद गाजी पर क्या कहती है वेबसाइट?
सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद सैयद सालार मसूद गाजी को सूफी संत बता रहे हैं, तो वहीं यूपी में भाजपा के नेता उन्हें आक्रमणकारी बता रहे हैं। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दरगाह शरीफ के बारे में लिखा है-हजरत गाजी सालार मसूद, ग्यारहवीं शताब्दी के मशहूर इस्लामिक संत और सैनिक। इसमें आगे लिखा है कि हजरत सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं, बल्कि हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है। इस दरगाह को फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि जो दरगाह के पानी में नहा लेता है, उसकी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
राजा सुहेलदेव के साथ सालार मसूद गाजी का हुआ था युद्ध
कहा जाता है कि 1500 साल पहले 1034 में बहराइच में इसी चित्तौरा झील के किनारे राजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया था और उसे मार दिया था। करीब नौ साल पहले 2016 में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बहराइच में राजा सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण किया था। 13 अप्रैल 2016 को दिल्ली से गाजीपुर के बीच सुहेलदेव एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। 2018 में पीएम मोदी ने राजा सुहेलदेव के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था। कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा ने यूपी में सुहेलदेव का सम्मान करके उन्हें एक नायक के तौर पर उभारा।
राजभर की पार्टी सुभासपा की मांग क्या है?
सालार मसूद गाजी को लेकर राजभर की पार्टी सुभासपा काफी आक्रामक है। पार्टी का कहना है कि जिस झील पर 11वीं सदी में श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव और सालार मसूद गाजी का युद्ध हुआ था, वहां महाराजा सुहेलदेव समिति के लोग विजयोत्सव मनाते हैं। हमारी मांग है कि यहां राजा सुहेलदेव के नाम पर मेले का आयोजन होना चाहिए, न कि विदेशी आक्रांता सालार मसूद गाजी के नाम पर।

यह भी पढें : 44 साल बाद 24 निर्दोषों के तीन हत्यारों को फांसी
नम्र निवेदन
सुधी पाठकों, आपको अवगत कराना है कि आपके द्वारा प्रेषित अनेक खबरें ‘हिंदुस्तान डेली न्यूज’ पोर्टल पर प्रकाशित की जाती हैं; किंतु सभी खबरों का लिंक ग्रुप पर वायरल न हो पाने के कारण आप कई बार अपनी तथा अन्य महत्वपूर्ण खबरों से वंचित रह जाते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि आप सीधे www.hindustandailynews.com पर जाकर अपनी खबरों के साथ-साथ पोर्टल पर प्रकाशित अन्य खबरें भी पढ़ सकते हैं। पोर्टल को और अधिक सूचनाप्रद तथा उपयोगी बनाने के लिए आपके सुझावों का स्वागत है। जानकी शरण द्विवेदी, संपादक-हिंदुस्तान डेली न्यूज, मो. 9452137310
📢 पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए: www.hindustandailynews.com
📱 हमारे WhatsApp चैनल को फॉलो करें
✍️ कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे।
📞 संपर्क: जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक)
📱 मोबाइल: 9452137310
📧 ईमेल: hindustandailynews1@gmail.com
📣 महत्वपूर्ण सूचना
गोंडा और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए विशेष अभियान
आपका गाँव, आपकी खबर — अब आपकी कलम से!
मित्रों, आपके आसपास की कई घटनाएं खबर रह जाती हैं। उन्हें मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता है। तो अब सरकारी योजनाओं की सच्चाई, गाँवों की समस्याएं, युवाओं की सफलता या स्थानीय मुद्दे, सभी को मिलेगा एक सशक्त मंच!
हिंदुस्तान डेली न्यूज ला रहा है ‘आपका गाँव, आपकी खबर’ मुहिम।
हम तलाश कर रहे हैं ऐसे जागरूक युवाओं को जो अभी बेरोजगार हैं अथवा पढ़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र अथवा स्कूल, कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम, क्षेत्र की सच्चाई, विशेषताएँ और जनहितकारी मुद्दे हमारे साथ साझा करें।
कैसे भेजें: WhatsApp पर हिंदी में टाइप किया हुआ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो, किसी भी रूप में भेज सकते हैं।
कैसे जुड़ें: अपना नाम, उम्र, पता, योग्यता और पहली खबर (Text या Voice में) भेजें। साथ में एक फोटो और WhatsApp नंबर भेजें। चयन होने पर ID कार्ड जारी किया जाएगा और आप टीम के WhatsApp ग्रुप में जोड़ दिए जाएंगे।