लगातार हो रही है रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में गिरावट
एक साल में 16 बाघ लापता, रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों का संरक्षण बनी बड़ी चुनौती
राज्य डेस्क
जयपुर। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व, जो देशभर में बाघों की सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, आज एक बड़े संकट से जूझ रहा है। बीते एक साल में 25 बाघ और बाघिन लापता हो गए हैं। इनमें से सिर्फ 10 को प्रशासन ट्रेस कर पाया है, जबकि 15 बाघ अब भी गायब हैं। यह खबर चौंकाने वाली है, क्योंकि सालाना करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बाघ लापता होने की यह घटना जिम्मेदारों की सुस्ती और लापरवाही को उजागर करती है।
बाघों की संख्या में भारी गिरावट
सूत्र बताते हैं कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में एक साल पहले 73 बाघ और बाघिन थे। लेकिन हाल की वन्य जीव गणना के मुताबिक, अब यह संख्या घटकर 67 रह गई है। इनमें बाघ टी-90 की फीमेल शावक, बाघिन टी-92, बाघ टी-20, टी-70, टी-71, टी-76 और बाघ भैरूपुरा जैसे कई नाम शामिल हैं, जो अब तक नहीं मिले। कमजोर मॉनिटरिंग और एंटी-पोचिंग सिस्टम के फेल होने से बाघ लापता हो रहे हैं। सारिस्का टाइगर रिजर्व में भी ऐसा ही हाल है, जहां बाघ एसटी-13 दो साल से गायब है। वहां अभी 42 बाघ बचे हैं, लेकिन प्रशासन को कोई ठोस सफलता नहीं मिली।

यह भी पढें: सड़क सुरक्षा बैठक में अफसरों को मिली फटकार
क्यों हो रहे हैं बाघ लापता?
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के पूर्व मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) मनोज पाराशर ने बताया कि पार्क में बाघों की संख्या उसकी क्षमता से ज्यादा है। उनके मुताबिक, बाघों को नए ठिकानों की जरूरत है। इसीलिए कई बाघ करौली-धौलपुर या मध्यप्रदेश के जंगलों की ओर चले जाते हैं। वे यह भी कहते हैं कि कुछ बाघ उम्रदराज हो सकते हैं, जिनके मिलने की संभावना कम है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वजह बाघों के लापता होने को सही ठहरा सकती है?
जांच कमेटी ने उठाए सवाल
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से लगातार बाघ लापता होने की घटना के बाद पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई। समिति के सदस्य टी. मोहनराज ने बताया कि टीम ने रणथम्भौर का दौरा किया। वन अधिकारियों और सीसीएफ से सवाल-जवाब किए गए। वन चौकियों और नाकों का निरीक्षण भी हुआ। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से अधिक बाघ अभी भी लापता हैं। इस मामले में उच्च अधिकारियों को सूचना भेज दी गई है, लेकिन ठोस कार्रवाई का इंतजार है।

यह भी पढें: कोलकाता हाईकोर्ट का पॉक्सो पर चौंकाने वाला फैसला
सुरक्षा व्यवस्था का बुरा हाल
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में शिकार से बचाने के लिए 60 करोड़ रुपये का ई-सर्विलांस सिस्टम लगा है। लेकिन टेंडर नवीनीकरण न होने से ज्यादातर कैमरे बंद पड़े हैं। जंगल में निगरानी के लिए बने वॉच टावर भी निष्क्रिय हैं। मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक सीमित है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात साल में 90 से ज्यादा वन्य जीवों का शिकार हो चुका है। इनमें बाघ, सांभर और हिरण शामिल हैं। चार साल में 15 शिकारी पकड़े गए, लेकिन ज्यादातर को छोड़ दिया गया। यह सब बाघ लापता होने के पीछे बड़ा कारण हो सकता है।
प्रशासन के दावे और हकीकत
राजस्थान के हेड ऑफ फॉरेस्ट अरिजित बनर्जी का कहना है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के कुछ बाघ कैमरा ट्रैप में ट्रेस हुए हैं। जो नहीं मिले, उन्हें ढूंढने की कोशिश जारी है। वे मानते हैं कि कई बाघ उम्रदराज हो सकते हैं, जिनकी प्राकृतिक मौत हुई होगी। लेकिन क्या यह दावा 16 बाघों के गायब होने को समझा सकता है? जंगल में बाघ लापता होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और प्रशासन के पास जवाब कम हैं।

यह भी पढें: पल्लवी पटेल के खिलाफ पुलिस की बड़ी कार्रवाई
बाघों की सुरक्षा पर सवाल
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व को बाघों का गढ़ माना जाता था। लेकिन अब यह संकट में है। बाघ लापता होने की यह घटना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल है। हर साल करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद नतीजा शून्य क्यों है? क्या जिम्मेदारों की लापरवाही बाघों की जान ले रही है?
आगे क्या?
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में गिरावट चिंता का विषय है। बाघ लापता होने का सिलसिला जारी रहा तो रणथम्भौर अपनी पहचान खो सकता है। सरकार और वन विभाग को फौरन कदम उठाने होंगे। सुरक्षा सिस्टम को मजबूत करना, कैमरों को चालू करना और शिकारियों पर सख्ती जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बाघों का यह संकट और गहरा सकता है।
यह भी पढें: बेनतीजा रहा कोलकाता बनाम पंजाब मुकाबला
हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h
आवश्यकता है संवाद सूत्रों की www.hindustandailynews.com को गोंडा के सभी न्याय पंचायतों, विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर ऐसे युवा व उत्साही संवाद सूत्रों की आवश्यकता है, जो स्मार्ट फोन इस्तेमाल करते हैं। सामाजिक रूप से जागरूक हों। अपने आसपास घटित होने वाली घटनाओं से भिज्ञ रहते हों। मोबाइल पर बोलकर अथवा लिखकर हिंदी टाइपिंग कर लेते हों तथा वीडियो बना लेते हों। इसके साथ ही प्रदेश के सभी 18 मण्डल और जनपद मुख्यालयों पर भी हमें संवाददाता की आवश्यकता है। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : hindustandailynews1@gmail.com जानकी शरण द्विवेदी प्रधान सम्पादक मोबाइल – 9452137310
कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी, प्रधान संपादक मोबाइल- 9452137310 E-Mail : hindustandailynews1@gmail.com
📢 पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए: www.hindustandailynews.com
📱 हमारे WhatsApp चैनल को फॉलो करें
✍️ कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे।
📞 संपर्क: जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक)
📱 मोबाइल: 9452137310
📧 ईमेल: hindustandailynews1@gmail.com
📣 महत्वपूर्ण सूचना
गोंडा और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए विशेष अभियान
आपका गाँव, आपकी खबर — अब आपकी कलम से!
मित्रों, आपके आसपास की कई घटनाएं खबर रह जाती हैं। उन्हें मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता है। तो अब सरकारी योजनाओं की सच्चाई, गाँवों की समस्याएं, युवाओं की सफलता या स्थानीय मुद्दे, सभी को मिलेगा एक सशक्त मंच!
हिंदुस्तान डेली न्यूज ला रहा है ‘आपका गाँव, आपकी खबर’ मुहिम।
हम तलाश कर रहे हैं ऐसे जागरूक युवाओं को जो अभी बेरोजगार हैं अथवा पढ़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र अथवा स्कूल, कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम, क्षेत्र की सच्चाई, विशेषताएँ और जनहितकारी मुद्दे हमारे साथ साझा करें।
कैसे भेजें: WhatsApp पर हिंदी में टाइप किया हुआ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो, किसी भी रूप में भेज सकते हैं।
कैसे जुड़ें: अपना नाम, उम्र, पता, योग्यता और पहली खबर (Text या Voice में) भेजें। साथ में एक फोटो और WhatsApp नंबर भेजें। चयन होने पर ID कार्ड जारी किया जाएगा और आप टीम के WhatsApp ग्रुप में जोड़ दिए जाएंगे।