Kanpur News : शीतलहर से रवी की फसलों के बचाव के लिए जारी की गयी एडवाइजरी

फसल से संबंधित समस्या के निदान के लिए मैसेज करे किसान 

कानपुर (हि.स.)। नये साल के शुरुआती दिनों में तापमान भले ही सामान्य से अधिक रहा पर अब मौसम का मिजाज बदलने वाला है। इससे तापमान गिरने के साथ ही शीतलहर चलने की संभावना है। इसको देखते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी आशीष कुमार सिंह ने किसानों को एडवाइजरी करते हुए बताया कि किस प्रकार से फसलों को शीतलहर से बचाया जा सकता है। 
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि रवी की प्रमुख फसलों गेंहूं, आलू में लगने वाले कीट रोग एवं खरपतवारों से बचाव के नियमित निगरानी जरुरी है। तापमान में आयी गिरावट के कारण लगने वाले कीट रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल निम्नलिखित फसलों के लिए सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर किसान फसल को बचा सकते हैं।  गेहूं का बचाव
गेहूं में चौडी एवं सकरी पत्ती बाले खरपतवारों जैसे गुल्ली डंडा, जंगली जई, मटरी, चटरी, बथुआ, कृष्णनील आदि की समस्या देखी जाती है। सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गेहुंसा ( गुल्ली डंडा) एवं जंगली जई के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फयूरान 75 प्रतिशत डब्लूजी 33 ग्राम (2.5 यूनिट) मात्रा को 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर फलैट फैन नाजिल से छिडकाव करें। चौडी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सल्फयूरान मिथाइल 20 प्रतिशत डब्लू ० पी ० की 0.020 किग्रा मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर फलैट फैन नाजिल से छिडकाव करें। राई और सरसों का बचाव
मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई/सरसों की फसल में माहूं कीट के प्रकोप होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (5 प्रतिशत प्रभावित पौधे) से अधिक हो तो निम्नलिखित रसायनों में से किसी एक को प्रति हैक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ईसी 2500 लीटर, डाईमथोएट 30 प्रतिशत ईसी एक लीटर, आक्सी डिमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी एक लीटर।आलू की फसल का ऐसे करें बचाव
आलू की फसल में वर्तमान में कम तापमान रहने के कारण अगेती/पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप होता है। इसके कारण पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं ज्यादा तीन प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के प्रकोप की दशा में कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लूपी की 2.500 किग्रा अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 2.000 किग्रा अथवा जिनेद 73 प्रतिशत डब्लूपी 2.500 किग्रा मात्रा को 800-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें। साथ ही कृषक बन्धु लगातार अपने खेत की निगरानी करते रहें किसी अन्य कीट – व्याधि की समस्या होने पर एसएमएस या वाट्सएप से 9452247111, 9452257111 पर समस्या लिखकर फोटो खिंचवाकर भेजकर निदान प्राप्त कर सकते हैं।

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