Kanpur News : शीतलहर से फसलों के बचाव के लिए हल्की सिंचाई करें किसान : डॉ एके सिंह
हवाओं की दिशाएं बदलने से मौसम में आएगा बदलाव, शीतलहर की होगी वापसी
कानपुर (हि.स.)। उत्तरी पूर्वी हवाओं के चलने से बीते कई दिनों से तापमान सामान्य से अधिक रहा और हल्की बारिश भी हुई। इससे शीतलहर का प्रकोप कमजोर रहा और अब हवाओं की दिशाएं बदलने से मौसम का मिजाज बदलेगा। एक बार फिर बर्फीली हवाओं से शीतलहर पड़ने वाली है, जिससे फसलों पर प्रभाव पड़ना लाजिमी होगा। ऐसे में किसान भाई फसलों को पाला और शीतलहर से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करते रहें। यह बातें शुक्रवार को सीएसए के अपर निदेशक प्रसार डॉ एके सिंह ने कही।
शीतलहर के साथ पाला से फसलों के बचाव के लिए चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के अपर निदेशक प्रसार डॉ. एके सिंह ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में फसलों में नुकसान होने की संभावना रहती है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हैं तथा अधपके फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में बन रहे दाने भी सिकुड़ जाते हैं, जिससे फसल उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि जब पाला पड़ने की संभावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, जिससे मृदा का तापमान कम नहीं होता है और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि जिन दिनों में पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों किसान भाई फसलों पर घुलनशील गंधक दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें, छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। इस दौरान यदि शीतलहर या पाले की संभावना लगातार बनी रहती है तो 15-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहे। डॉक्टर खान ने बताया कि सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले/शीतलहर से बचाने में गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले/ शीतलहर से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। इससे पौधों में रोगरोधिता बढ़ जाती है और फसल को जल्दी पकाने में भी सहायक होती है।