Kanpur News : आयुर्वेद डाक्टरों द्वारा सर्जरी किये जाने से मरीजों की खतरे में पड़ेगी जान : डा. नीलम मिश्रा

– जिस पैथी का जो विशेषज्ञ है उसको उसी पैथी में प्रैक्टिस करने की दी जाए अनुमति

कानपुर (हि.स.)। आयुर्वेद डाक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिये जाने को लेकर एलोपैथ के डाक्टरों में रोष है। इसी को लेकर अपनी संस्था आईएमए के जरिये विरोध दर्ज कराया गया। आयुष मंत्रालय के इस फैसले से आयुर्वेद डाक्टर दो साल की डिग्री लेकर सर्जरी करना शुरु कर देंगे। 
ऐसे में मरीजों की जान खतरे में पड़ने की अधिक संभावना बनी रहेगी। इसको देखते हुए केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय को यह फैसला तत्काल वापस लेना चाहिये, जिससे लोगों का डाक्टरों के प्रति विश्वास बना रहे। यह बातें शुक्रवार को आईएमए कानपुर इकाई की अध्यक्ष डा. नीलम मिश्रा ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही। 
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने बीते दिनों फैसला लिया था कि दो साल की डिग्री लेकर आयुर्वेद डाक्टर भी सर्जरी कर सकते हैं। आयुर्वेद के डाक्टरों को यह अधिकार मिलने से एलोपैथ के डाक्टरों में गहरी नाराजगी है। जिसके विरोध में कानपुर सहित देश भर के सभी राज्यों के आईएमए (इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन) से जुड़े हजारों डाक्टरों ने शुक्रवार को 24 घण्टे की हड़ताल कर आक्रोश जाहिर किया। इस दौरान प्राइवेट हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी बंद रही और निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। हालांकि इमरजेंसी और कोविड से संबंधित सेवाएं चलती रहीं। सरकार के इस फैसले के विरोध के अवसर पर इस अवसर पर सचिव डा. दिनेश सिंह सचान, डा. वीसी रस्तोगी, संयुक्त सचिव डा. मुन्नालाल विश्वकर्मा, डा. सलीम अहमद, डा. अर्चना भदौरिया,  डा. देवेन्द्र लालचंदानी आदि मौजूद रहें। सरकार वापस ले मिक्सोपैथी
आईएमए कानपुर इकाई की अध्यक्ष डा. नीलम मिश्रा ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मिक्सोपैथी (आयुर्वेद डाक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार) के सख्त खिलाफ है। मिक्सोपैथी के कारण हमारे देश में चिकित्सकों की गुणवत्ता काफी कम हो जाएगी तथा चिकित्सा स्तर में काफी गिरावट आएगी। भारत में चिकित्सकों की गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में काफी संख्या में मरीज इलाज कराते हैं। भारतीय चिकित्सकों की विदेशों में एक अच्छी छवि है। गुणवत्ता कम होने से विदेशों में चिकित्सकों की मांग कम हो जाएगी तथा विदेशों से मरीज इलाज कराने भारत नहीं आएंगे। सरकार से हमारी मांग है कि किसी भी स्थिति में मिक्सोपैथी को लागू ना किया जाए एवं हर विधा को स्वतंत्र रुप से वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जाए। एलोपैथ के डाक्टरों का गिरेगा मनोबल
आईएमए के कार्यकारिणी सदस्य डा. कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि सरकार के इस फैसले से एलोपैथ के डाक्टरों का मनोबल गिरेगा, क्योंकि डाक्टरी की शिक्षा के आठ से 10 वर्ष का समय लगता है तब जाकर वह विशेषज्ञ बन पाता है। वहीं दो साल की डिग्री लेकर जब आयुर्वेद डाक्टर सर्जरी करेगा तो मरीजों पर खतरे की भी संभावना अधिक रहेगी। सर्जरी के लिए अत्याधुनिक तकनीक और उच्च शिक्षा की जरुरत होती है जो आयुर्वेद में संभव नहीं है। इसके साथ ही झोलाछाप डाक्टरों को बढ़ावा भी मिलेगा। संख्या की जगह गुणवत्ता पर ध्यान दे सरकार
एक्शन कमेटी के चेयरमैन व पूर्व अध्यक्ष डा. एसके मिश्रा ने बताया भारतीय चिकित्सक पूरे विश्व में श्रेष्ठ चिकित्सक साबित हो रहे हैं। विदेशों में 60 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय है। यही नहीं एक भारतीय चिकित्सक ने पहला फेफड़े का प्रत्यारोपण करने में सफलता पायी थी। हमारी भारत सरकार से मांग है कि मॉडर्न मेडिसिन के चिकित्सा में गुणवत्तापूर्वक प्रणाली लागू हो। हमें डाक्टरों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना है ताकि अच्छी क्वालिटी वाले चिकित्सक बनें।

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