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पिता-पुत्र, सगे भाइयों समेत पांच को आजीवन कारावास

हत्या में पिता-पुत्र को आजीवन कारावास

Adv Manmohan Mishra

आजीवन कारावास की सजा पाए लोगों ने कुल्हाड़ी मारकर किया था हत्या

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में छह वर्ष पूर्व हुई एक हत्या तथा जानलेवा हमले के मामले में अदालत ने शुक्रवार को पिता-पुत्र तथा दो सगे भाइयों समेत पांच लोगों को आजीवन कारावास तथा अर्थदंड की सजा सुनाई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) मनमोहन मिश्र के अनुसार, जिले के कौड़िया थाने में 14 नवंबर 2018 को ग्राम अहियाचेत निवासी रामदयाल ने अभियोग पंजीकृत कराया था कि खेत से लौट रहे मेरे भाई रामेश्वर प्रसाद व भतीजे राम अनुज पर रास्ते के विवाद को लेकर गांव के ही माता प्रसाद (35) पुत्र मनीराम, मनीराम (62) पुत्र ठाकुर प्रसाद, राजेश कुमार (35) व माधवराज (40) पुत्रगण राम कैलाश तथा सांवली प्रसाद (70) पुत्र बुधई ने कुदाल से हमला कर दिया। गंभीर हालत में उन्हें उपचार के लिए जिला चिकित्सालय लाया गया, जहां उसी दिन रामेश्वर प्रसाद की मौत हो गई। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भादवि की धारा 147, 148, 302, 307, 325, 323, 504, 506 के तहत अभियोग दर्ज कर विवेचना के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया।
मिश्र के अनुसार, सत्र परीक्षण के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन करते हुए उभय पक्ष के गवाहों के बयानों तथा अधिवक्ताओं के तर्कों के आधार पर सभी पांच आरोपियों को दोषी करार दिया तथा प्रत्येक को आजीवन कारावास व 29500 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि अर्थदंड की अदायगी न करने पर प्रत्येक को 26 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की जाएगी।

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अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज
एक अन्य प्रकरण में विशेष न्यायाधीश ने जीवित व्यक्ति को मृत दिखाकर फर्जी कागजात से वरासत दर्ज कराने के मामले में आरोपी महिला ग्राम पंचायत सदस्य का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। एडीजीसी के अनुसार, मनकापुर तहसील के राजस्व निरीक्षक बृजेंद्र सिंह ने 27 मार्च 2021 को कोतवाली मनकापुर में केस दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने कहा कि ग्राम भिटौरा स्थित भूमि खाता संख्या-334 के राजस्व अभिलेखों में छोटे का नाम अंकित था। वर्ष 2018 में गांव के नंदकिशोर ने छोटे को मृतक दिखाकर कूटरचित कागजात से फर्जी ढंग से राजस्व अभिलेखों में अपनी पत्नी अंजना को छोटे की पुत्री बताते हुए नाम दर्ज करा लिया।
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत सदस्य महादेव व किरन की गवाही के आधार पर तत्कालीन लेखपाल और राजस्व निरीक्षक ने विश्वास करके आदेश अंकित कर दिया, जबकि, अंजना देवी के पिता अभी जीवित हैं। विवेचना में साक्ष्य मिलने पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुकदमे के साक्ष्य, तथ्य, परिस्थितियों व अपराध की गंभीरता देखते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने आरोपी किरन देवी का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।

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