Gonda News: ORS और जिंक की गोली से रोकें शिशु के दस्त

मुफ्त में प्राप्त करें ओआरएस और जिंक की गोली : डॉ आफताब आलम

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। माह अगस्त, सितंबर में डायरिया रोग फैलने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य के दृष्टिगत जनपद समेत पूरे प्रदेश में दो अगस्त से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम का सञ्चालन किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आवश्यक गतिविधियां जैसे ओआरएस पैकेट घरों में पहुँचाने तथा जनजागरुकता बढ़ाने हेतु प्रचार-प्रसार का काम किया जा रहा है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. जय गोविंद के अनुसार, दस्त के कारण से मृत्यु नहीं होती बल्कि दस्त के दौरान शरीर में होने वाली पानी की कमी मृत्यु का कारण बनता हैं। यह मरीज़ को पूरी तरह कमज़ोर बना देता हैं। विशेष रूप से बच्चों के मामले में, दस्त शरीर के तरल पदार्थ और सूक्ष्म पोषक तत्वों को कम करके जटिलता का कारण बन सकता है, जिसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं। दस्त का आसानी से जांच व इलाज़ किया जा सकता हैं। डॉ. जय गोविंद का कहना है कि दस्त प्रबंधन आसान हैं। सभी को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि दस्त से प्रभावित बच्चे को ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) से साथ-साथ जिंक की गोलियां व पर्याप्त पोषण देने की जरूरत है और यह गांव की आशा कार्यकर्ता के पास मुफ्त में उपलब्ध है। इसके अलावा दस्त के दौरान बच्चे को स्तनपान कराना सबसे बेहतर उपाय है, क्योंकि इससे बच्चें को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते रहते हैं और संक्रमण का खतरा भी कम होता है। उन्होंने बताया कि जिले में शून्य से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों की संख्या 5 लाख 37 हजार 486 है, जिनके घरों तक ओआरएस पैकेट पहुंचाने का काम कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि बच्चों में डायरिया का प्रकोप, कई प्रदेशों में पांच वर्ष तक के बच्चों में होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण रहा है। 5 वर्ष से कम आयु के 10 फीसद बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण होती है, जब कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 लाख बच्चों की दस्त के कारण मृत्यु होती है तथा दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में दूसरे स्थान पर है। एसआरएस,2014 के आकड़ों के अनुसार, प्रदेश में बाल मृत्यु दर 57/1000 जीवित जन्म थी जो कि वर्तमान में प्रदेश में 47/1000 जीवित जन्म है। यूनिसेफ के डीएमसी शेषनाथ सिंह बताते हैं कि दस्त की रोकथाम उसके प्रबंधन से सरल है। दस्त को सुरक्षित पेयजल, सही तरीके से हाथ धोकर, स्वच्छता बनाये रखकर, नियमित टीकाकरण करवाकर, स्तनपान व उचित पोषण देकर रोका जा सकता है। जागरूकता ही इसका बेहतर साधन है। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ की ब्लॉक स्तरीय टीमों द्वारा आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से गाँव-गाँव जागरुकता फैलाई जा रही है। जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आफ़ताब आलम बताते हैं कि बच्चों में लगातार पतले मोशन और उल्टी होना दस्त या डायरिया कहलाता है। डायरिया वायरल व बैक्टीरियल संक्रमण के कारण तो होता ही है, परंतु इसका सबसे सामान्य कारण प्रदूषित पानी, खान-पान में गड़बड़ी और आंत में संक्रमण का होना है। डायरिया में शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसे डीहाईड्रेशन कहते हैं। इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो पीड़ित बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। बच्चों में पानी जैसा लगातार मल का होना, बार बार उल्टी होना, अत्यधिक प्यास का लगना, पानी न पी पाना, बुखार होना तथा मल में खून का आना डायरिया के लक्षण हैं। अगर बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें, तो उसे तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए। शिशु को दस्त हो जाए, तो इसमें लापरवाही कदापि न करें। जल्द से जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर मुफ्त ओआरएस का पैकेट लें, इसका घोल बनाकर बच्चे को पिलायें और दस्त को नियंत्रित करें। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार देवीपाटन मंडल में बलरामपुर में 38.8 प्रतिशत, बहराइच में 34.2 प्रतिशत, गोण्डा में 29 प्रतिशत और श्रावस्ती में 25.8 प्रतिशत वहीं उत्तर प्रदेश में 37.9 प्रतिशत बच्चों को ही दो हप्तों के अन्दर डायरिया के उपचार के लिए ओआरएस मिल पाता है।

ऐसे दें बच्चे को ओआरएस का घोल :

ओआरएस के पैकेट को एक लीटर पानी में घोल बनाना चाहिए द्य बच्चे को दस्त शुरु होते ही प्रत्येक दस्त के बाद यह घोल पिलाना चाहिए द्य साथ ही जिंक की गोली एक चम्मच पीने के पानी या मां के दूध के साथ 14 दिनों तक देनी होती है द्य साथ ही यह भी ध्यान देना है कि दस्त के दौरान मां का दूध और ऊपरी आहार (पूरक आहार) बंद नहीं करना है द्य बच्चों का खाना पकाने, खिलाने एवं मल साफ करने के बाद हाथों को साबुन पानी से अवश्य धोएं व बच्चों के मल की तुरंत सफाई करें। उन्होंने बताया कि बच्चों को उम्र के अनुसार ओआरएस का घोल देना चाहिए। दो माह से कम आयु के बच्चे को पांच चम्मच ओरआरएस घोल प्रत्येक दस्त के बाद, दो माह से दो वर्ष तक के बच्चे को एक चौथाई से आधा कप ओरआरएस घोल प्रत्येक दस्त के बाद तथा दो से पांच वर्ष तक के बच्चे को आधा कप से एक कप ओआरएस घोल प्रत्येक दस्त के बाद देना श्रेयस्कर होगा। उन्होंने बताया कि जिंक की गोली दस्त की अवधि और तीव्रता दोनों को कम करती है। यह गोली तीन महीने तक दस्त से सुरक्षित रखती है। यह लंबे समय तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। दो से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली पानी या मां के दूध के घोल में दें। छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को जिंक की एक गोली देनी है।

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