Gonda News: 7वें महीने से बच्चे को स्तनपान के साथ पूरक आहार जरूरी
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरू के 1 हजार दिन यानि गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म के दो साल (730 दिन) तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान यदि बच्चे के पोषण स्तर में गिरावट उसके पूरे जीवन चक्र को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में पोषण का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा सही पोषण बच्चों में संक्रमण, विकलांगता, बीमारियों व मृत्यु की संभावना को कम करके जीवन में विकास की नींव रखता है द्य यह कहना है जिला महिला अस्पताल के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आफ़ताब आलम का।
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डॉ. आफ़ताब बताते हैं कि माँ-बच्चे को सही पोषण उपलब्ध कराने से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जब बच्चा 6 माह अर्थात 180 दिन का हो जाता है, तब स्तनपान उसकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस समय बच्चा तीव्रता से बढ़ता है और उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। शिशु को स्तनपान के साथ-साथ 6 माह की आयु पूरी होने के बाद पूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए। पूरक आहार को 6 माह के बाद ही शुरू करना चाहिए, क्योंकि छः माह तक केवल माँ का दूध ही बच्चे के लिए पर्याप्त पौष्टिक आहार होता है। बच्चे को देर से पूरक आहार देने से उसका विकास धीमा हो जाता है या रुक जाता है तथा बच्चे में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है और वह कुपोषित हो सकता है।
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डॉ. आफ़ताब के अनुसार, स्तनपान के साथ-साथ 6-8 माह की आयु के बच्चों को 250-250 मिली की आधी-आधी कटोरी अर्द्धठोस आहार, दिन में 2 बार देना चाहिए। 9-11 माह के बच्चे को स्तनपान के साथ-साथ 250-250 मिली की आधी-आधी कटोरी दिन में तीन बार देनी चाहिए द्य 11-23 माह के बच्चे को भी स्तनपान के साथ 250-250 मिली की पूरी कटोरी दिन में तीन बार देनी चाहिये और साथ में 1-2 बार नाश्ता भी खिलाएँ। बच्चे को तरल आहार न देकर अर्द्ध ठोस पदार्थ देने चाहिए। भोजन में चौरंगा आहार (लाल, सफ़ेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाना चाहिए द्य इनमें भोजन में पाये जाने वाले आवश्यक तत्व जरूर होने चाहिए, जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज पदार्थ, रेशे और पानी उपस्थित हों।
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आंकड़ों पर गौर करें, तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार, जिले में 6-23 माह के 6.3 फीसद बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है। 5 वर्ष तक के 56.9 फीसद बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई, उनकी आयु के अनुपात में कम है, 9.8 फीसद बच्चे ऐसे हैं, जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है तथा 38.6 फीसद बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है, वहीं 5 वर्ष तक के 72.6 फीसद बच्चों में खून की कमी पायी गयी। रैपिड सर्वे ऑफ चिल्ड्रेन (2013-14) के आंकड़े बताते हैं कि सही खान-पान के अभाव में प्रदेश के 50.4 फीसद बच्चे अविकिसित, 10 फीसद कमजोर व 34.3 फीसद बच्चे कम वजन के रह जाते हैं। वहीं यूनिसेफ के मंडलीय पोषण सलाहकार डॉ. प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि बेहतर पोषण स्वस्थ समाज की नींव होती है। पोषण स्तर में सुधार कर स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन की परिकल्पना साकार की जा सकती है।
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जानकी शरण द्विवेदी
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