Gonda News: यह लक्षण दिखे तो हो जाएं सतर्क, आपको हो सकती है टीबी
दस्तक अभियान के तहत एक हफ्ते में मिले टीबी रोग के 37 मरीज
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। टीबी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी व गले आदि में भी टीबी हो सकती है। शरीर के जिस भी हिस्से में टीबी होती है, सही समय पर सही इलाज न हो, तो उस अंग को बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर का। डॉ मलिक के अनुसार, अधिकांश लोगों में पाई जाने वाली टीबी फेफड़ों की टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। टीबी खतरनाक और जानलेवा है, इसलिए व्यक्ति में खांसी आना, पसीना आना, बुखार रहना, थकावट होना, वजन घटना और साँस लेने में परेशानी हो, तो जल्द से जल्द जाँच करायें, हो सकता है कि उसे टीबी हो द्य सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाईयों पर इसकी जाँच और सम्पूर्ण इलाज बिल्कुल निःशुल्क है।
बताते चलें कि जिले में 12 जुलाई से दस्तक अभियान चलाया गया। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य सहयोगी विभागों की टीमों द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर पर दस्तक देकर लोगों जागरुक किया गया। टीमों द्वारा समुदाय में टीबी, मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार समेत अन्य संचारी रोगों का पता लगाकर संभावित लोगों के आंकड़े एकत्रित किए गए तथा उनकी स्क्रीनिंग की गयी। अभियान में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित पाए लोगों की अब जाँच कराकर उन्हें जल्द से जल्द इलाज मुहैया कराने की कोशिश में जिले का स्वास्थ्य महकमा लग गया है। टीबी रोग विभाग के जिला समन्वयक विवेक सरन ने बताया कि अभियान में टीबी रोग के संभावित 161 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी तथा 136 लोगों की टीबी रोग की जाँच की गयी,जिसमें 37 टीबी के मरीज पाए गए। मरीजों का इलाज शुरु कर दिया गया है तथा जल्द ही उनका विवरण निःक्षय पोर्टल पर भी अपलोड कर दिया जायेगा, जिससे कि इलाज के दौरान पौष्टिक आहार लेने और खानपान पर ध्यान देने के लिए सरकार द्वारा सीधे मरीजों के खाते में दिए जा रहे पांच सौ रुपये प्रति माह का भी वह लाभ उठा सकें।
टीबी रोग से बचाव के तरीके :
टीबी रोग विभाग के परामर्शदाता डॉ. ए.के. उपाध्याय के अनुसार, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें। मास्क पहनें, हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन या रुमाल से ढकें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां न थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। एसी में रहने से परहेज करें। पौष्टिक खाना खाएं, एक्सरसाइज व योग करें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें। जन्म के समय बच्चे को बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं।
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जानकी शरण द्विवेदी
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