Gonda News: भागवत कथा में बताया गया कैसे सुखमय जीवन जिए इंसान

श्री राम जानकी धर्मशाला में जुगल किशोर अग्रवाल की स्मृति में आयोजित कथा का सातवां दिन

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। संसार में स्त्री किसी को अपने दिल से जीतती है, जबकि पुरुष अपने विवेक से। इसीलिए स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में दिल की बीमारी कम होती है। यह बात वृन्दावन धाम के ख्यातिलब्ध कथाकार पंडित राधेश्याम शास्त्री ने स्व. जुगल किशोर अग्रवाल की पावन स्मृति में रानी बाजार स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं को रति-प्रद्युम्न मिलन की कथा सुनाते हुए कही। उन्होंने कहा कि समाज में आज जितने भी प्रकार के विवाद हैं, वे धन, धरती और नारी को लेकर हैं। गीता में श्री कृष्ण ने संदेश दिया है कि आपसे आयु अथवा संस्कार में जितने भी बड़े लोग मिलें, उनका पूरी तरह से सम्मान करो। जीवन में कभी भी मंदिर, ब्राम्हण और धर्मदा व्यक्ति का धन नहीं हड़पना चाहिए। इससे साठ हजार वर्ष तक मैला का कीड़ा बनना पड़ता है। व्यास पीठ ने कहा कि संसार में श्रेष्ठ व्यक्ति वह है, जो अपने घर की लक्ष्मी (पत्नी) को प्रसन्न रखता है। यही कारण है कि किसी पुरुष को आगे बढ़ाने में उसकी पत्नी का बड़ा हाथ बताया जाता है। श्रेष्ठ साधक वह है, जो ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान, ध्यान करके पूजा-पाठ करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को यथा संभव कुछ न कुछ रोज दान करना चाहिए, किन्तु उन्होंने कहा कि दान वहीं कर सकेगा, जिसके दादा जी और पिता जी ने किया होगा, क्योंकि यह संस्कारों से आता है। कुत्ता, गाय, कौआ, मछली, चींटी को रोज भोजन देना चाहिए। जहां ईश निंदा हो रही हो, वहां नहीं बैठना चाहिए। शास्त्री जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के चावल को नहीं, उनकी गरीबी को चबाया था। जीवन में कहीं भी जाओ तो सेवा भाव लेकर जाओ। इसमें कल्याण ही कल्याण है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति पर देव, ऋषि और पितृ तीन प्रकार के ऋण होते हैं। यज्ञ तथा दान करके देव ऋण, शास्त्रों का अध्ययन करके ऋषि ऋण तथा श्राद्ध इत्यादि कर्म करके पितृ ऋण से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए।

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इससे पूर्व पंडित गोपाल कृष्ण शास्त्री ने मनुष्य को जीवन जीने की कला बताते हुए कहा कि ब्रम्हाण्ड की समस्त वस्तुएं हमें कुछ न कुछ संकेत करती हैं। अपने जीवन में हमें इनके अनुरूप आचरण करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पृथ्वी सहनशीलता सिखाती है। वृक्ष फलदार होने पर झुकना सिखाता है। हवा कहती है, जाओ चाहे जहां तक किन्तु किसी में लिप्त मत होना। जल हमें शीतल रहने का संकेत करता है। अग्नि पवित्रता और चन्द्रमा आवश्यकता अनुरूप आचरण करने की सीख देता है। समुद्र हमेशा समभाव रहने की सीख देता है। न वर्षा ऋतु में बढ़ेगा और न गर्मी में घटेगा। पतंगा कहता है, ईश्वर से प्रेम करो तो अंतिम सांस तक करो, जब तक प्राण छूट न जाय। कथा के अंतिम दिन हवन एवं पूर्णाहुति के उपरान्त भण्डारा व महाप्रसाद वितरण का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर स्व. अग्रवाल की धर्मपत्नी श्रीमती सरोज अग्रवाल, पुत्र अनुपम अग्रवाल, पुत्रबधू रश्मि अग्रवाल, अनिल मित्तल, राजेन्द्र प्रसाद गाडिया, केके श्रीवास्तव एडवोकेट, राजा बाबू गुप्ता, डा. आलोक अग्रवाल, डा. एचडी अग्रवाल, अतुल अग्रवाल, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राजीव रस्तोगी, संदीप अग्रवाल, रेनू अग्रवाल, छवि अग्रवाल, परी अग्रवाल, आकृति अग्रवाल, अंशू अग्रवाल, अर्पिता अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल पिण्टू, संजय अग्रवाल, विक्रम जी, कृष्णा गोयल आदि उपस्थित रहे।

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