Gonda News: सिविल जज ने कैदियों को बताए उनके अधिकार
साक्षरता शिविर लगाकर सुनी कैदियों की समस्याएं
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व जनपद न्यायाधीश संजय शंकर पाण्डेय के निर्देश के अनुपालन में सोमवार को जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन प्राधिकरण के प्रभारी सचिव/सिविल जज (सीडि) रवि शंकर गुप्ता द्वारा किया गया। शिविर में प्रभारी सचिव ने विचाराधीन बन्दियों के शिकायतों के निराकरण के बावत जानकारी देते हुए बताया कि जेल में निरुद्ध विचाराधीन बन्दियों के अधिकारों की बात प्रत्येक स्तर पर होती रही है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों ने अपने कई निर्णयों में सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों के अधिकारों के बारे में उल्लेख किया है। विचाराधीन कैदी या फिर सजायाफ्ता कैदी के अधिकार जेल में भी बने रहते हैं और कानून के हिसाब से ही उनके अधिकारों पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आपराधिक विधि के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता, जब तक कि न्यायालय आरोपी को दोषी नहीं मानता। जब भी किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई आरोप लगाया जाता है तो वह मात्र आरोपी होता है। ऐसे में उसे यह संवैधानिक अधिकार है कि उसे अपने बचाव का मौका मिले। इस सन्दर्भ में संविधान के अनुच्छेद-22 में मूल अधिकार है कि प्रत्येक आरोपी को बचाव का मौका दिया जाए। इसके तहत अदालत का कर्तव्य है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में पेश हो तो वह उससे पूछे कि क्या उसे वकील चाहिए? वकील न होने पर अदालत आरोपी को सरकारी खर्चे से वकील मुहैया कराती है। ऐसे वकील को ‘एमिकस क्यूरी‘ कहते हैं। जैसे ही किसी आरोपी को पहली बार गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जाता है, तो उसके पास स्वयं का अधिवक्ता न होने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निःशुल्क पैनल अधिवक्ता मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक जेल में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता निरन्तर दौरा करते रहते हैं। जेल में पहले ही जेल अथारिटी यह घोषणा कर देते हैं कि अमुक समय में अधिवक्ता आने वाले हैं और जिन्हें अधिवक्ता चाहिए, वह उनसे मिल सकते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी इस सन्दर्भ में समुचित आवेदन किया जा सकता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी विचाराधीन बन्दियों से बात करते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं और उन्हें पैनल अधिवक्ता मुहैया कराते हैं। इस अवसर पर पैनल अधिवक्ता अखण्ड प्रताप सिंह, उमेश प्रताप सिंह, जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशिकान्त सिंह, जेलर दीपांकर भारती तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के लिपिक मुकेश वर्मा, पीएलवी कंचन सिंह व प्रभूनाथ एवं अन्य कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।