Gonda News:अब युवाओं को भी सताने लगा गठिया!
ऐसे पा सकते हैं इस गंभीर बीमारी से निजात
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। ‘वर्ल्ड आर्थराइटिस दिवस’ मनाने का उद्देश्य केवल लोगों में जोड़ों के दर्द के प्रति जागरुकता फैलाना है। पहले इस रोग की समस्या ज्यादातर बड़ी उम्र के लोगों को होती थी, लेकिन अब इस बीमारी की चपेट में युवा वर्ग भी आ गया है। ’अर्थराइटिस’ का मतलब गठिया होता है, जो कि जोड़ों की सूजन व दर्द से जुड़ा रोग है। यह रोग आम तौर पर ओस्टियो आर्थराइटिस और रुमेटॉयड आर्थराइटिस के रूप में होता है। बढ़ती उम्र के साथ रोग की आशंका भी बढ़ती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस रोग की चपेट में ज्यादा आती हैं।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के तत्वाधान में योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी के मार्गदर्शन में इटियाथोक विकास खण्ड के सिसई बहलोलपुर में चल रहे नियमित योग कक्षा में योग शिक्षक आदर्श गुप्ता ने बताया कि अर्थराइटिस अर्थात् ’गठिया’ आज की बदलती जीवन शैली, मोटापा, गलत खानपान आदि वजहों से बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। अर्थराइटिस का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों पर पड़ता है। इससे बदन में दर्द और अकड़न महसूस होने लगती है। कभी-कभी हाथों, कंधों और घुटने में सूजन और दर्द रहता है और हाथ मिलाने में तकलीफ होती है।
योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया कि गठिया के लिए प्रमुख कारणों में ’मोटापा’ सबसे ऊपर है। शरीर पर सामान्य से अधिक वजन जोड़ों में सूजन पैदा करता है। अर्थराइटिस जोड़ों की सूजन है। सौ से अधिक प्रकार के गठिया से लोग परेशान हो रहे हैं। सामान्य स्थिति में आस्टियो अर्थराइटिस 50 साल की उम्र के बाद होता है। यह शरीर पर निर्भर करता है कि जोड़ों को कितना और किस तरह से इस्तेमाल किया गया है। अर्थराइटिस के लक्षण आम तौर पर बढ़ती उम्र के साथ विकसित होते हैं, लेकिन यह अचानक भी समस्या बन सकते हैं। इसके अलावा गलत तरीके से अधिक देर तक झुककर काम करना, सिर पर नियमित तौर पर वजन उठाना, झुककर कोई वजन उठाना, कंप्यूटर के सामने गलत तरीके से घंटों बैठे रहना, मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करना, गर्दन झुकाकर घंटों काम करने से भी गठिया की शिकायत होती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा रुमेटोइड अर्थराइटिस में मरीज के शरीर के अंग अकड़ जाते हैं। इसी तरह यूरिक एसिड बढ़ने से भी गठिया (गाउट) की समस्या होती है। योगाचार्य ने बताया कि योगिक क्रियाओं में संधि संचालन, उदर संचालन, शवासन (10 मिनट), वज्रासन (अगर कर सकें), कोण आसन, त्रिकोणासन, गोमुखासन, भुजंगासन, अर्द्ध मत्स्येंद्र आसन, धनुरासन, सर्वांगासन, अंत में शवासन के माध्यम से हम गठिया की समस्या में आराम पा सकते हैं। योग प्रशिक्षक आशीष गुप्ता ने बताया कि दूध से बनी चीजों, जंक फूड तथा मैदे से बनी चीजों का सेवन न करें। रोजाना संतुलित आहार लें। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। यह हड्डियों को कमजोर बनाता है। रोजाना सैर करें और किसी भी योगिक क्रिया में यदि कोई परेशानी हो तो उसे न करें। शिविर में आस्था, सुमन श्रीवास्तव, माही गुप्ता, सलोनी गुप्ता, अखिल, अजय श्रीवास्तव, संतोष गुप्ता, हरिशंकर तिवारी, चंदन तिवारी, नरेंद्र श्रीवास्तव, सूरज, अंश आदि कई योग साधक एवं ग्रामीण मौजूद रहे।