Gonda News:पराली न जलाएं किसान, नजदीकी गौ आश्रय केन्द्रों को दें सूचना

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। उपनिदेशक कृषि डा. मुकुल तिवारी ने बताया है कि जनपद के किसान पराली न जलाएं बल्कि उसे अपने ग्राम पंचायत के सचिव या ग्राम प्रधान अथवा गौ आश्रय केन्द्र के प्रभारी को सूचित कर अपने खेत की पराली नजदीकी गौ आश्रय केर्न्द्र पर भेजवा सकते हैं। सूचना के बाद पराली उठवाने का कार्य सम्बन्धित गौ आश्रय केन्द्र प्रभारी, पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान द्वारा सुनिश्चित कराई जाएगी। उन्होंने किसानों से अपील की है वे कि फसल अवशेष जलाए जाने से रोकने के सम्बंध में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं के रोकथाम तथा पराली के यथा स्थान इनसीटू प्रबंधन विषयक आवश्यक दिशा-निर्देश एनजीटी द्वारा प्राप्त हुए हैं। वर्तमान समय में जनपद में धान के फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। जिन कृषकों द्वारा धान की मड़ाई थ्रेशर से की गई है अथवा की जा रही है, उनके द्वारा मड़ाई के उपरान्त निकलने वाले अपशिष्टों का ढेर लगाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में इस बात की आशंका है कि कुछ किसानों द्वारा इन अपशिष्टों को निस्तारित करने हेतु इन्हें जलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से दो एकड़ से कम क्षेत्रफल हेतु ढाई हजार रुपए प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक तथा पांच एकड़ तक के क्षेत्रफल हेतु पांच हजार रूपए प्रति घटना एवं 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल हेतु 15 हजार रूपए प्रति घटना के हिसाब से अर्थदण्ड का प्राविधान किया गया है तथा दोषी व्यक्ति के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने इस सम्बंध में जनपद के किसान भाइयों को यह भी सुझाव दिया है कि फसल अपशिष्टों के निस्तारण हेतु उन्हें खेत में सड़ाकर खाद बनाया जा सकता है जिससे मृदा में जीवांश पदार्थ की मात्रा में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त किसान भाई अवशेष के रूप में प्राप्त भूसे अथवा पुवाल को नजदीकी गौ-आश्रय केन्द्र पर देने के लिए गौ-आश्रय केंद्र प्रभारी, पंचायत सेक्रेटरी अथवा ग्राम प्रधान से संपर्क कर सकते हैं जिनके द्वारा पराली को गौ-आश्रय केन्द्रों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।

error: Content is protected !!