पौने चार लाख आबादी के लिए 450 कार्यकर्ताओं की बनाई गईं 150 टीमें
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। जिले में आज से आगामी 11 नवम्बर तक सक्रिय टीबी रोगी खोजी अभियान (एसीएफ) चलाया जायेगा, जिसमें विभाग द्वारा गठित टीमें घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी। इस दौरान संदिग्ध लोगों में टीबी की जांच की जाएगी तथा पॉजिटिव पाए जाने पर 48 घंटे के भीतर मरीज का दवा शुरू कर दी जाएगी। यह बातें रविवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मधु गैरोला ने जिला चिकित्सालय परिसर से अभियान की रैली को हरी झंडी दिखाकर अभियान का शुभारंभ करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि अभियान में विशेषकर दूर-दराज इलाकों, मलिन बस्तियों और ईंट-भट्ठों के आसपास रहने वाले परिवारों का स्क्रीनिंग एवं काउंसलिंग किया जायेगा। इसके अलावा सीबी नॉट मोबाइल वैन भी अपनी निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार गाँवों का भ्रमण करेगी। एसीएफ अभियान की मॉनिटरिंग के लिए एसीएमओ, डिप्टी सीएमओ, डीपीएम तथा डीसीपीएम को लगाया गया है। सायं काल बैठक आयोजित कर फीडबैक स्टेट को भेजा जायेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि टीबी अर्थात क्षय-रोग एक बहुत ही गंभीर बीमारी है, जोकि काफी लम्बे समय से जनसमुदाय की स्वास्थ्य-समस्या बनी हुयी है। यह एक संक्रामक-रोग है, जो एक मरीज के खांसने या थूकने से दूसरे लोगों में फैलता है। टीबी रोगियों की जल्द पहचान करके उनका इलाज शुरू कर देना, इस बीमारी को रोकने में काफी हद तक मददगार है। विश्व के सबसे ज्यादा टीबी-रोगी हमारे देश में ही हैं। रैली में लगभग सौ आशा कार्यकर्ता तथा स्वयं सेवी एवं डाट्स प्रोवाइडरों ने प्रतिभाग किया। उक्त अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर ने बताया कि जनपद में सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान के तहत 450 कार्यकर्ताओं की तीन-तीन सदस्यीय 150 टीमें बनायी गयीं हैं, जो शहरी क्षेत्र एवं 14 ब्लॉकों में घर-घर जाकर टीबी के मरीजों को खोजेंगी द्य अभियान के तहत जनपद की कुल आबादी का 10 प्रतिशत लगभग 3.74 लाख आबादी तक पहुँच बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जहाँ टीमों द्वारा घर-घर जाकर टीबी के लक्षण बताये जायेंगे तथा टीबी के रोगी खोजे जायेंगे द्य यह अभियान कुल दस दिवसों में चलाया जायेगा द्य राज्य स्तर से भी निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण हेतु टीम जनपद में आएगी, जो 6 से 8 नवम्बर 2020 तक पर्यवेक्षण का कार्य करेगी।
चेस्ट फिजिशियन डॉ एके उपाध्याय का कहना है कि टीबी के 80 से 85 प्रतिशत रोगी फेफड़े की टीबी के होते हैं, जोकि बीमारी फैलाने के मुख्य कारक हैं, लेकिन यह मस्तिष्क, गर्भाशय, मुंह, लीवर, किडनी, गला, हड्डी, नाखून व सिर के बालों में भी हो सकता है। टीबी का वैक्टीरिया शरीर के जिस भाग में पहुँचता है, उसके टिशू को पूरी तरह नष्ट कर देता है। गर्भाशय में है, तो बांझपन की वजह बनती है। हड्डी में है, तो हड्डी को गला देती है। मस्तिष्क में है, तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं। आंतों में है, तो पेट में पानी भर सकता है। यदि दो सप्ताह से खांसी और खांसी के साथ बलगम या खून आना, भूख नहीं लगना, शरीर का वजन घटना, शाम या रात के समय बुखार आ जाना, सीने में दर्द का होना किसी व्यक्ति में यह लक्षण हो, तो उसे टीबी हो सकती है। आंत की टीबी के लक्षण में पेट में दर्द का होना, पेट में सूजन आना एवं आंत का फट जाना है। जिला कार्यक्रम समन्वयक विवेक सरन ने बताया कि जनपद में इस वर्ष अभी तक कुल 3367 एक्टिव मरीज पाए गए हैं, जिनमें से 2652 मरीजों को उपचार के दौरान निःक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 500 रुपये प्रति माह की धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जा रही है। एसीएफ के इस चरण में टीबी पॉजिटिव मिलने वाले मरीजों का तत्काल इलाज शुरू कर दिया जायेगा। इस अवसर पर डीपीएम अमरनाथ, राजेश श्रीवास्तव, अरविन्द कुमार मिश्र, रितेश श्रीवास्तव, सूरज सिंह, मो. असलम खान, काजी नासेरुल हक़, अमरनाथ पाण्डेय एवं इफ़्तेख़ार हसन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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