Gonda : MSITM में मीनाशाह का उर्स सम्पन्न
संवाददाता
गोंडा। पूर्वी हिंदुस्तान की प्रसिद्ध ख़ानकाह दरबारे आलिया मीनाईया में मखदूम हज़रत इकराम मीना शाह का उर्स सज्जादा नशीन हज़रत शाह जमाल मीना की सरपरस्ती में सम्पन्न हुआ। बाद नमाज़े जोहर हुजूर पैगम्बरे इस्लाम और हुजूर गौसे आजम के मुए मुबारक (पवित्र बाल) की जियारत कराई गई जिसमें हजारों अकीदतमंदों ने शिरकत की। यह जानकारी देते हुए दरबार के खादिम तबरेज आलम ने बताया कि बाद नमाजे इशा ईद मिलादुन्नबी की महफिल हुई, जिसका संचालन आफाक मुशाहिदी व नूर मोहम्मद वाहिदी ने संयुक्त रूप से किया। मशहूर आलिम ए दीन मुफ्ती मसीहुद्दीन साहब ने अपने सम्बोधन में साहबे उर्स की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए लोगों को साहबे उर्स के बताई हुए बातों पर अमल करने के लिए कहा। इनके अलावा मुफ्ती अमानुर्रब साहब मौलाना मुकीम साहब ने मीनाईया के बारे में लोगों को विस्तृत रूप से बताया। शाने आलम मसऊदी, आज़म मीनाई, अजमत रहमानी, कारी निजामुद्दीन क़ादरी, कारी अनीस, कारी सय्यद अमानुल मुस्तफा ने नात व मनकबत पेश किया। दस्तारबंदी (दीक्षांत समारोह) में 13 छात्रों को हाफिज व 04 छात्रों को कारी का प्रमाण पत्र दिया गया। कुल शरीफ की महफिल में कारी अनीस ने पढ़ा: ‘दर्द सह कर भी तेरा नाम लिए जाते हैं। तेरे दीवाने तुझे याद किए जाते हैं।’
कारी शकील मीनाई ने पढ़ा: ‘क्यों भला आज सारे दीवाने आए हुए हैं। लग रहा है कि महबूब मीना रुख से पर्दा हटाए हुए हैं।’
इनके अलावा चांद आलम, अहमद रज़ा, हफीज आलम मीनाई आदि ने अपना-अपना कलाम पेश किया। अंत में दुआ ख्वानी हुई जिसमें मुल्क की तरक्की खुशहाली के लिए दुआ हुई। इस अवसर पर मुख्यतः कारी निसार मीनाई साहब, डा. लायक अली, चचा फकीर मो. मीनाई, मौलाना मुजक्किर, सय्यद साजिद, हाज़ी जकी, डॉ फारूक, वली मो. मामा, एहसान मीनाई, तबरेज आलम मीनाई, सगीर आलम मीनाई, रफीक मीनाई, बी0बी0लाल श्रीवास्तव, असित श्रीवास्तव, राजेन्द्र मिश्र,शंकर चौधरी, विभूति मणि त्रिपाठी समेत सैकड़ो अकीदतमंत उपस्थित रहें। यह खबर दरबार के खादिम तबरेज आलम मीनाई ने दी।
दयारे यार में सर को झुकाए बैठे हैं
उर्स ए मखदूम इकराम मीना शाह के तीन दिवसीय उर्स का कार्यक्रम महफिले समा एवं कुल शरीफ के उपरांत सम्पन्न हुआ। बाद नमाजे असर गागर व चादर का जुलूस एमएसआईटीएम के प्रांगण से उठकर दरबार ए आलिया मीनाईया में पेश हुआ। यह जानकारी देते हुए दरबार के खादिम तबरेज आलम ने बताया कि बाद नमाज इशा महफिले समा का आयोजन किया गया, जिसमें मुल्क के प्रख्यात कव्वालों ने अपने कलाम से लोगों को आनंदित किया।
साकिब आसिफ अली फैजाबादी ने पढ़ा: ‘तेरे ही करम से हरलुत्फ मेरी जिंदगी है। मेरे मीना की गुलामी मेरे काम आ गई।’
फैजान क़ादरी ने पढ़ा कि ‘दयारे यार में सर को झुकाए बैठे हैं। करम की आस सनम से लगाए बैठे हैं।’
दिलशाद साबरी ने पढ़ा: ‘तुमको पाया है जमाने से किनारा करके, तुम बदल देते हो किस्मत को इसारा करके।’
इनके अलावा ऐनुल हक एंड पार्टी, करीमुल्ला एंड पार्टी ने अपना अपना कलाम पेश किया। बाद नमाज ए फजर मजार शरीफ का ग़ुस्ल किया गया। उर्स के अंतिम दिन दरबारे आलिया मीनाईया के प्रांगण में कुल की महफिल सज्जादा नशीन शाह जमाल मीना की सरपरस्ती में आयोजित हुई। इस अवसर पर मौलाना कारी निसार मीनाई, मुकीम साहब की तकरीर हुई, कारी समसुद्दीन साहब, कारी मुमताज साहब आदि ने नात व मनकबत प्रस्तुत किए। इस अवसर पर सज्जादा नशीन अल्हाज शाह जमाल मीना ने उपस्थित विभिन्न जातियों एवं धर्मों के अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेम के मार्ग से कठिन से कठिन मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं। सूफी संतों ने सदैव प्रेम की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि खुदा दिलों को देखता है और उसी अनुसार नवाजता है। भाईचारा कायम कर ही हम तरक्की कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सूफी संतों ने कभी वर्ग विभेद नहीं किया, जो भी उनके दर पर गया तो उन्होंने उनकी मदद की। अपने समर्थकों को स्वच्छ आचरण करने की हिदायत दी। तदोपरांत उपस्थित लोगों को तबर्रुक (प्रसाद) वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में मुल्क के विभिन्न क्षेत्रों-प्रांतों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ लायक अली, चाचा फ़कीर मोहम्मद, हाशिम मीनाई, इशरत अज़ीज़ मीनाई, नूर अली मीनाई, अब्दुल कादिर मीनाई समेत सैकड़ों अनुयायी उपस्थित रहे।
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जानकी शरण द्विवेदी