Gonda : LBS में चल रहा सात दिवसीय संस्कृत संभाषण वर्ग

पीसीएस परीक्षा में चयनित डा. नित्यानन्द चतुर्वेदी का हुआ सम्मान

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज में आयोजित सात दिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग के दूसरे दिन संस्कृत भारती की सरल मानक विधि से बच्चों में सम्भाषण का अभ्यास कराया गया। उपस्थापन व प्रयोग विधि से संस्कृत सम्भाषण पढ़ना बच्चों के लिए नये अनुभव से कम नहीं था। द्वितीय दिवस का प्रारम्भ मंगलाचरण और समापन शान्ति मन्त्र के साथ किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए महाविद्यालय प्रबन्ध समिति की उपाध्यक्ष वर्षा सिंह ने कहा कि हमें हिन्दी और अंग्रेजी को राष्ट्रीय भाषा बनाने हेतु प्रयास करना चाहिए। संस्कृत आदि भाषाओं का चयन स्वेच्छा से करें, मजबूरी से नहीं। संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता वैदिक काल से लेकर अब तक उतनी ही है। यह हमारा मानवीय धर्म है कि हम अपनी भाषा को विश्व पटल पर सम्मान दिलाने का प्रयत्न करना चाहिए। जो कार्य आप कर रहे हैं यदि वह आपको सरल लगता है, तो आप निश्चित रूप से सफल होंगे। धन्यवाद ज्ञापन विभाग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मंशाराम वर्मा ने किया। इस अवसर पर विभागीय प्राध्यापक प्राध्यापिकाओं में डा. अवधेश वर्मा, डा. मनीष मोदनवाल, डा.वन्दना भारतीय, डा.पल्लवी, डा.रामिन्त पटेल, डा. ममता शुक्ला, डा. अच्युत शुक्ला, राम भुलावन प्रजापति आदि उपस्थित रहे। इससे पूर्व मंगलवार को संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग का उद्घाटन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया। वैदिक मंगलाचरण आचार्य लक्ष्मण जी तथा रेहाना बानो एवं स्वागत गीत प्राची सिंह के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर पीसीएस में चयनित भारतीय इण्टर कॉलेज कटरा बाजार के संस्कृत प्रवक्ता डॉ. नित्यानन्द चतुर्वेदी का सम्मान भी किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए सम्मान्यातिथि प्रो.राम समुझ सिंह ने कहा कि आने वाला समय संस्कृत भाषा के उत्थान व विकास का है। संस्कृत भाषा मानवीय संवेदनाओं को जागृत करने व मानवीय मूल्यों को विकसित करने वाली भाषा है। विशिष्ट अतिथि प्रो. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा पूर्णरूप से वैज्ञानिक व विशुद्ध है। संस्कृत भाषा राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करने का कार्य करती है। सारस्वत अतिथि प्रो. शिवशरण शुक्ल ने कहा कि वर्तमान में नासा ने भी संस्कृत भाषा को सातवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा मानी है।


मुख्यातिथि प्रो.शैलेन्द्र मिश्र ने कहा कि संस्कृत भाषा में नवीन शब्दों के निर्माण की अनन्त सम्भावनाएं हैं। ज्योतिर्विज्ञान का सूर्य सिद्धान्त विविध खगोलीय गणनाओं का आधार है। संस्कृत भाषा जीवन जीने की वास्तविक कलाओं का विकास करती है। हिन्दी भाषा का मूल संस्कृत ही है। पालि प्राकृत और अपभ्रंश के सोपानों से होते हुए हिन्दी का विकास हुआ। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों में नवीन ऊर्जा का संचार करते हैं और भविष्य के लिए पाथेय बनते हैं। संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, भूगर्भ विज्ञान के साथ-साथ विविध क्षेत्रों है। स्वागत भाषण विभाग के अध्यक्ष व संस्कृत सम्भाषण वर्ग के संयोजक प्रो.मंशाराम वर्मा ने कहा कि सम्भाषण वर्ग में संस्कृत भाषा के विद्यार्थियों का उत्साह प्रशंसनीय है। सात दिन तक चलने वाला यह वर्ग छात्रों में संस्कृत बोलने में मील का पत्थर साबित होगा। वर्तमान समय उपयोगिता के सिद्धान्त पर काम करता है और संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता को देखकर प्रतीत होता है आने का समय संस्कृत का होगा। इस वर्ग में संस्कृत भारती की सरल सम्भाषण विधि से सम्भाषण कौशल का विकास छात्रों में किया जायेगा। छात्र संघ के अध्यक्ष उमेश शुक्ला ने भी छात्रों को वर्ग में पूर्ण मन से प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित किया तथा पीसीएस परीक्षा में चयनित डा. नित्यानन्द चतुर्वेदी ने छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के मूल यन्त्र दिये। मंच संचालन रांची विश्वविद्यालय के जगदम्बा प्रसाद सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रामभुलावन प्रजापति ने किया। इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य प्रो.वन्दना सारस्वत, भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो.रंजन शर्मा, प्रो.जे.बी.पाल, प्रो.अभय कुमार श्रीवास्तव, डा.पुष्यमित्र मिश्र, डा. अवधेश कुमार वर्मा, डा. अच्युत शुक्ला, डा. ममता शुक्ला, डा. रामिन्त पटेल, रूप नारायण सिंह, राममूर्ति सिंह तथा प्रतिभागी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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जानकी शरण द्विवेदी

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