Gonda : CMO ने दवा खाकर किया एनडीडी की शुरुआत!
जो आज नहीं खा पाए दवा, वे मापअप राउंड में खा लें-सीएमओ
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बुधवार को नगर क्षेत्र के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में दवा खाकर तथा कॉलेज की छात्राओं को दवा खिलाते हुए अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि यह दवा एक वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि जिले में 16.74 लाख बच्चों और किशोर-किशोरियों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं, उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं। नोडल अधिकारी डॉ एपी ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि तीन वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है। बेलसर परियोजना के आंगनबाड़ी केन्द्र लिलोई कला तृतीय की कार्यकर्त्री बबिता वर्मा ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे। झंझरी ब्लॉक क्षेत्र के पंडरी शंकर ग्रामवासी शिवनाथ, घनश्याम व अनूप ने बताया कि हमारे बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार का कहना है कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक रंजीत सिंह राठौर ने बताया कि दवा सेवन के बाद आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।
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जानकी शरण द्विवेदी
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