Gonda : हर भूलने की आदत अल्जाइमर नहीं
‘विश्व अल्जाइमर्स दिवस’ पर जागरुकता व चिकित्सा शिविर आयोजित
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। ‘विश्व अल्जाइमर्स दिवस’ के मौके पर जिला मुख्यालय के पोर्टरगंज स्थित वृद्धाश्रम में जागरुकता व चिकित्सा शिविर लगाया गया। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयोजित इस शिविर में 65 वृद्धजनों को चिकित्सीय जाँच, परामर्श, दवाओं और फलों का वितरण करने के साथ ही अल्जाइमर्स-डिमेंशिया से बचाव के प्रति जागरुक किया गया। मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ नुपूर पॉल ने बताया कि अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होती है। लाखों लोग हर साल इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इस वजह से अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को ’विश्व अल्जाइमर दिवस’ मनाया जाता है। इस साल विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम है ’आओ डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें’। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूल-कॉलेज, वृद्धाश्रम में जन जागरुकता कार्यक्रम, हस्ताक्षर अभियान जैसी विभिन्न गतिविधियां 19 से 25 सितंबर तक डिमेंशिया वीक के तहत की जा रही है। उन्होंने बताया कि याददाश्त की कमी, सोंचने-समझने में दिक्कत, कोई भी परेशानी सुलझा न पाना, जो काम आते हैं, उन्हें भी पूरा न कर पाना, वक्त भूलना और जगह के नाम भी याद न रहना, आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होना, निर्णय लेने में दिक्कत आना, चीज़ें रखकर भूल जाना, लोगों से कम मिलना और काम को आगे टालना, बार-बार मूड में बदलाव, डिप्रेशन, कंफ्यूज़ रहना, थकान और मन में डर रहना अल्जाइमर से ग्रसित होने के संकेत हैं।
क्लीनिकल साईकोलॉजिस्ट डॉ रंजना गुप्ता ने बताया कि अल्जाइमर या डिमेंशिया फिलहाल तो लाइलाज है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षण नजर आते ही कुछ उपायों से बीमारी के जोखिम को कम कर सकते हैं, जैसे हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल, मोटापे और मधुमेह को नियंत्रित करें। शारीरिक गतिविधियों व व्यायाम पर जोर दें। संतुलित और पौष्टिक आहार करें। मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए नई गतिविधियां सीखें। इससे नई तंत्रिका तंत्र के निर्माण में सहयोग मिलेगा। सामाजिक गतिविधियों एवं मनोरंजक कार्यक्रमों में शामिल हों। मनो सामाजिक कार्यकर्ता उमेश कुमार का कहना है कि हर भूलने की आदत अल्जाइमर या डिमेशिया की स्थिति नहीं होती। इस बीमारी के लक्षण सामान्य भूलने के लक्षण से अलग होते हैं। जैसे खाना खाने के बाद भूल जाना कि खाना खाया है। बाथरूम जाने के बाद भूल जाना कि बाथरूम गये थे। अपने लोगों की पहचान को भूल जाना। डिमेशिया में कई बार भटकाव, दिमाग का कम काम करना, पुराने बातें तो याद रहती हैं लेकिन त्वरित की घटनाएं भूल जाती हैं, स्मृति का सतुलन बिगड़ जाना। ऐसे मरीजों की देखभाल करने वाले व्यक्ति को विशेष परामर्श की आवश्यकता होती है कि मरीज के साथ कैसा व्यवहार करना है। अगर किसी को अल्जाइमर या डिमेंशिया के कारण मानसिक विकार की समस्या होती है, तो तुरंत जिला अस्पताल के कमरा नंबर 33 में संचालित मानसिक रोग विभाग की ओपीडी मन कक्ष में परामर्श लें। शिविर में स्टाफ नर्स तुषार, पवन व आश्रम संरक्षक सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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जानकी शरण द्विवेदी
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