Gonda : बाढ़ को वरदान में बदलने के लिए शोध करें वैज्ञानिक
नंदिनी नगर में आयोजित कृषक संगोष्ठी में भाजपा सांसद की अपील
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। जिस प्रकार से खाड़ी देशों में पाए जाने वाले पेट्रोलियम पदार्थों ने वहां की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है, उसी प्रकार से मोटा अनाज (श्री अन्न) हिन्दुस्तान की तकदीर को बदल सकता है। श्री अन्न के उत्पादन के लिए दुनिया के अधिकतम आधे दर्जन देशों की जलवायु अनुकूलता के बावजूद हिन्दुस्तान की जलवायु इसके लिए सर्वोत्तम है। यह बात कैसरगंज संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने गुरुवार को जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर नवाबगंज स्थित नंदिनी नगर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में श्री अन्न (मोटा अनाज) उत्पादन तथा प्राकृतिक व जैविक खेती पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा, अयोध्या, बस्ती, गोरखपुर आदि जिले घाघरा नदी में प्रति वर्ष आने वाली बाढ़ से प्रभावित होते हैं। बाढ़ के समय नदी अपने साथ उपजाऊ मिट्टी भी बहाकर लाती है। हमारे कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान इन क्षेत्रों में बिना खाद-पानी के मोटे अनाज जैसे सांवा, काकुन, ज्वार, रागी, कोदो, कगनी, कुटकी आदि की जैविक खेती करने की संभावना पर शोध करके प्रति वर्ष बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को वरदान में बदल सकते हैं। स्वास्थ्य कारणों से रसायन मुक्त उत्पादों की तरफ लौट रहे लोगों के बीच देश-दुनिया में अपने उत्पाद का प्रचार करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए हमें केवल लोगों को यह भरोसा दिलाना होगा कि हमारा उत्पाद बिना किसी रसायन के प्रयोग के पैदा किया गया है। सांसद ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया गया है। भारत में यह ‘श्रीअन्न वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों देश भर के सांसदों से अपने-अपने क्षेत्रों में श्रीअन्न की जागरूकता के लिए कार्यक्रम करके प्रचार प्रसार का आहवान किया गया था। इस क्रम में संभवतः यह देश का पहला सुव्यस्थित सम्मेलन होगा, जिसमें देवीपाटन, अयोध्या और बस्ती मण्डलों के हजारों किसानों को बुलाकर देश के विशेषज्ञ किसानों द्वारा जानकारी प्रदान की गई है।
हाइब्रिड बीज व रसायन का पूर्ण त्याग करें किसान
नंदी रथ से विद्युत उत्पादन करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक शैलेन्द्र सिंह (वाराणसी) ने संगोष्ठी में बोलते हुए कहा कि प्राचीन काल में नंदी हमारे परिवार के हिस्सा हुआ करते थे, किंतु कालांतर में हमारा उनसे संबंध कम होता गया। उन्हें अपने परिवार में वापस लाना होगा। ऐसा करके हम कृषि में अपनी लागत घटा तथा उत्पादन बढ़ा सकते हैं। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाएं और हाइब्रिड बीज का पूरी तरह से परित्याग करें। उन्होंने कहा, “हाईब्रिड बीज की संरचना ही इस प्रकार से की गई है कि उस बीज की दुबारा न तो बुआई की जा सकती है। साथ ही रासायनिक उर्वरक के बिना उसका उत्पादन भी कम होता है। इसलिए हमें देशी बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।“ उन्होंने कहा कि बीते 30 मार्च 2023 को दुनिया भर में पेटेंट कराए गए नंदी रथ के माध्यम से हम आटा चक्की, पन चक्की, चारा काटने की मशीन आदि चला सकते हैं। जबकि एक एकड़ खेत की सिंचाई मात्र तीन से चार सौ रूपए में कर सकते हैं, जिसकी लागत अभी डेढ़ से दो हजार रुपए आती है। साथ ही इन नंदी बैलों से बिजली पैदा करके सरकार को बेचकर आमदनी भी कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि जैविक खेती करने से उत्पादन में कमी की बात बिलकुल निराधार है। शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि हम सरसों का तेल निकालने वाली लोहे से बनी मशीन के स्थान पर लकड़ी का बना कोल्हू इस्तेमाल करें। उससे निकला तेल अपेक्षाकृत ज्यादा शुद्ध होता है।
सह फसली खेती करके किसान सुधारें अपनी दशा
तालाब के बजाय खेत में कमल गट्टे और सिंघाड़े की खेती करने वाले तथा सह फसली खेती से देश-विदेश में उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले सहारनपुर के प्रगतिशील किसान पद्मश्री सेठ पाल सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमेशा से ही उनका जोर कृषि विविधीकरण पर रहा है। गन्ने की खेती में सह फसली के तौर पर प्याज, मटर, सरसों और खीरा आदि की बोआई वे करते हैं। इससे उनके आय में काफी इजाफा होता है। सब्जी की खेती से उनका ज्यादा जुड़ाव है। मचान लगाकर इसकी खेती करने से ऊपर लौकी, कद्दू के साथ दो तीन प्रकार की सब्जी जमीन पर पैदा हो जाती है। 21 मार्च 2022 को पद्मश्री से नवाजे गए सेठ पाल सिंह ने बताया कि फसलों की पराली के अपशिष्ट प्रबंधन से खेतों में जीवाश्म और कार्बन पैदा होते है, जो मिट्टी में उपज क्षमता को बढ़ाते हैं। उन्होंने फसलों के बेहतर उत्पादन व मृदा के प्राकृतिक संतुलन के लिए रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के बजाय जैविक फफूंद और वर्मी कंपोस्ट के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रासायनिक दवाओं से मित्र कीट मरते हैं और शत्रु कीट हावी हो जाते हैं। कहा कि श्री अन्न के उत्पादन में केमिकल से बने खादों की जरूरत नहीं है। मोटे अनाज पारंपरिक अनाज गेंहू-चावल के तुलना ज्यादा खनिज तत्व और फाइवर से भरपूर होने से पौष्टिकता से भरपूर होते हैं। संगोष्ठी को पद्मश्री चन्द्रशेखर सिंह (वाराणसी), पद्मश्री कंवल सिंह चौहान (हरियाणा), स्वामी राम दिनेशाचार्य, मनकापुर के प्रगतिशील किसान अतुल कुमार सिंह, ओम प्रकाश पाण्डेय आदि ने भी सम्बोधित किया।
1700 शवों को निकालने वाला गोताखोर सम्मानित
इस कार्यक्रम में उप्र में प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन करने वाले तरबगंज के गन्ना किसान, उरद की खेती में उप्र में शीर्ष स्थान पाने वाले पयागपुर (बहराइच) के किसान बब्बन सिंह तथा 317 डूबते लोगों को जीवित बचाने व 1700 से अधिक शवों को नदी व तालाबों से खोजकर निकालने वाले गोताखोर भगवान दीन को सम्मानित किया गया। इस मौके पर दूर-दूर से आए संस्थानों व किसानों द्वारा अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। लखनऊ तथा गोंडा से आए सांस्कृतिक दल के कलाकारों ने कृषक जागरूकता से संबंधित कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में गोंडा के जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम मिश्रा, बलरामपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री आरती तिवारी, बलरामपुर सदर से भाजपा विधायक पलटू राम, पयागपुर विधायक सुभाष त्रिपाठी, कर्नलगंज विधायक अजय कुमार सिंह, एमएलसी अवधेश कुमार उर्फ मंजू सिंह, अयोध्या के लक्ष्मण किलाधीश मैथिली रमण शरण जी महराज, तुलसी छावनी अयोध्या के महंत जनार्दन दास, मनीष दास, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बृज किशोर भारती और राम मनोहर तिवारी, ब्लाक प्रमुख मुन्ना सिंह, सांसद प्रतिनिधि संजीव सिंह, भाजपा किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष विद्या भूषण द्विवेदी आदि मौजूद रहे।
अनुरोध
*अपने शहर गोंडा की आवाज “रेडियो अवध” को सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करके अपने एंड्रॉयड फोन पर डाउनलोड करें Radio Awadh 90.8 FM ऐप* https://play.google.com/store/apps/details?id=com.radioawadh.radioawadh ’और रोजाना प्रातः 06 बजे से आरजे राशि के साथ सुनें भक्ति संगीत का कार्यक्रम “उपासना“ और 07 बजे से आरजे सगुन के साथ “गोनार्द वाणी“ में सुनें निर्गुण भजन, पूर्वान्ह 11 बजे से यादों का झरोखा, दोपहर 12 बजे से सुनें फरमाइशी फिल्मी नगमों का प्रोग्राम ‘हैलो अवध’, दोपहर 1 बजे से आरजे खुशी के साथ सुनें महिलाओं पर आधारित कार्यक्रम “आधी दुनिया“, दोपहर बाद 3 बजे से आरजे सैंपी के साथ कार्यक्रम “ताका झांकी”, शाम 5 बजे से आरजे दक्ष के साथ किशोरों और युवाओं पर आधारित ज्ञानवर्धक कार्यक्रम “टीन टाइम”, रात 9 बजे से आरजे कनिका के साथ करिए प्यार मोहब्बत की बातें शो “सुधर्मा“ में। इसके अलावा दिन भर सुनिए आरजे प्रताप, आरजे शजर, आरजे अभिषेक, आरजे राहुल द्वारा प्रस्तुत रंगारंग और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम। तो App डाउनलोड करना न भूलें और दिन भर आनंद लें विविध कार्यक्रमों का।’’ ऐप के SCHEDULE पर जाकर दिन भर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का विवरण देख सकते हैं। साथ ही अपने मन पसंद गाने सुनने के लिए रेडियो अवध के ऐप पर CHAT में जाकर हमें मैसेज कर सकते हैं।’
Informer की आवश्यकता
गोंडा में जल्द लॉन्च हो रहे Radio Awadh को जिले के सभी कस्बों और न्याय पंचायतों में सूचनादाता (Informer) की आवश्यकता है। गीत संगीत व रेडियो जॉकी के रूप में अपना कैरियर बनाने के इच्छुक जिले के निवासी युवक युवतियां भी संपर्क कर सकते हैं : संपर्क करें : 9554000908 पर! (केवल वॉट्स ऐप मैसेज 9452137310) अथवा मेल jsdwivedi68@gmail.com
रेडियो अवध पर प्रचार के लिए सम्पर्क करें :
रेडियो अवध के माध्यम से अपने संस्थान व प्रतिष्ठान का प्रचार कराने तथा अपने परिजनों, रिश्तेदारों, मित्रों व शुभचिंतकों को उनके जन्म दिवस तथा मैरिज एनिवर्सरी आदि पर शुभकामनाएं देने के लिए 955400905 और 7800018555 पर संपर्क करें!