Gonda : निबंधन विभाग के दो अधिकारी निलम्बित

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। जिले में उपनिबंधक कार्यालय में अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीन बैनामा कराने के सम्बंध में शासन ने गुरुवार को निबंधन विभाग के दो अधिकारियों को शिथिल पर्यवेक्षण का दोषी ठहराते हुए तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया। यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी डा. उज्जवल कुमार ने आज यहां बताया कि उप निबंधक सदर कार्यालय में अभिलेखों में हेराफेरी करके एक गिरोह द्वारा सुनियोजित तरीके से कूटरचित दस्तावेजों के सहारे पिछले कुछ वर्षों में कई फर्जी बैनामे कराए जाने की सूचना मिली थी। प्रकरण संज्ञान में आने पर इसकी विस्तृत जांच कराई गई, तो 47 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें निबंधन कार्यालय की मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेजों के सहारे बैनामा करके जमीन हथियाई गई। डीएम ने कहा कि इस सम्बंध में उनके द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी, जिस पर प्रमुख सचिव निबंधन एवं स्टाम्प वीना कुमारी ने तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन एवं स्टाम्प अरुण कुमार मिश्र (वर्तमान में डीआइजी गाजियाबाद) तथा गोंडा के वर्तमान सहायक महानिरीक्षक निबंधन एवं स्टाम्प मनोज कुमार श्रीवास्तव को लचर पर्यवेक्षण का दोषी ठहराते हुए तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया। निलम्बन अवधि में दोनों अधिकारी महानिरीक्षक निबंधन के शिविर कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे। डीएम ने बताया कि शासन ने प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए गोंडा के अपर जिलाधिकारी सुरेश कुमार सोनी को जांच अधिकारी नामित किया है।
देवीपाटन परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने इस सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीन बैनामा कराने का खेल जिले में काफी दिनों से चल रहा था। जनता दर्शन के दौरान फरियादियों द्वारा इस सम्बंध में शिकायतें मिलने पर उन्होंने ऐसे मामलों में अभियोग दर्ज करवाना शुरू किया तो एक के बाद 28 मामले अब तक संज्ञान में आए हैं, जिन पर थाना कोतवाली नगर में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। अधिकांश मामलों में प्रथम दृष्टया विभागीय कर्मचारियों, कुछ अधिवक्ताओं व जमीन घोटाले से जुड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। डीआइजी ने बताया कि उन्होंने दर्ज सभी अभियोगों की जांच शासन स्तर पर विशेष जांच टीम (एसआइटी) बनाकर किए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि इस फर्जीबाडे़ से जुड़े लोगों ने अधिकांश मामलों में ऐसे व्यक्तियों को दस्तोवजों में क्रेता, विक्रेता और हासिया गवाह बनाया है, जिनकी अब मौत हो चुकी है। परिणाम स्वरूप उनके खिलाफ कोई कार्रवाई किया जाना संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि जिले में अभी और भी ऐसे मामले होने की संभावना है। डीआइजी ने जन साधारण से अपील किया है कि यदि किसी के साथ इस प्रकार की धोखाधड़ी हुई हो, तो वह साक्ष्यों के साथ उन्हें अपनी शिकायत दे सकता है। ऐसे सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज करवाकर एसआईटी से विवेचना कराई जाएगी।

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जानकी शरण द्विवेदी

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